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Who were the People before Buddha | बुद्ध से पहले भारत में कौन लोग रहते थे

Who were the People before Buddha | बुद्ध से पहले भारत में कौन लोग रहते थे


आज हम बात करेंगे एक ऐसे टॉपिक पर जो भारत के सबसे विवादित टॉपिक में से एक है | जिसको शायद 99.99% लोगों को जानकारी नहीं होगी | क्योंकि किसी भी ऐतिहासिक किताबों में या इस टॉपिक पर वीडियोस या आर्टिकल्स आपको Youtube पर लगभग ना के बराबर मिलेगी | 1 या 2 वीडियोस मिल जाएंगी और वह भी बड़ी मुश्किल से | और Google में भी जीतनेय आर्टिकल्स मिलेंगे, वह कोई और ही इतिहास बताती दिखेंगी |  वह टॉपिक है, 

सिंधु घाटी सभ्यता से  बुद्ध काल तक और बुद्ध काल से 1000 AD तक 

क्योंकि बुद्ध काल से अब तक के इतिहास में किसी को ज्यादा मतभेद नहीं | हां उनके धर्म और भाषा क्या थे उनमें मतभेद हो सकते हैं | क्योंकि उनके प्रमाण भर भर के मिलते हैं | इसलिए किसी को ज्यादा प्रॉब्लम नहीं होती | 

Questions: 

लेकिन लगभग सारे लोग इस चीज पर फंस जाते हैं कि बुद्ध से पहले और सिंधु घाटी के बीच भारत में कौन लोग रहते थे | उसका कोई प्रमाण है या नहीं? 

अगर है तो आज तक कोई वीडियोस क्यों नहीं बना रहा? 

और जो वीडियोस से आर्टिकल बने उनमें तो कहा जाता है कि 1500 BC में ऋग्वेद को लिखा गया है वह वैदिक काल था तो आखिर सच क्या है? 

और जो लोग कहते हैं कि 1500 बीसी में वैदिक काल था वह सारे आर्टिकल्स यह भी कहते हैं कि हिंदू जिसे आर्यंस भी कहा जाता था प्राचीन दुनिया में वह बाहर से आए थे भारत में रहने के लिए | जब मैंने इस टॉपिक पर सोर्सेस ढूंढना शुरू किया मुझे यह पीडीएफ मिला | दृष्टि आईएएस | ASI की तैयारी करने वाले भी इसको पढ़ते हैं मुझे लगा कि किसी भी और आर्टिकल से या वीडियो से अच्छा यही होगा क्योंकि यह सभी चीजें NCERT में भी शामिल है और बच्चों को पढ़ाया जाता है भारतीय इतिहास कह के | 

यह है एसिएंट इंडिया ए टेक्स्ट बुक फॉर क्लास 11 NCERT | यह रहा इसका कंटेंट पेज | इसका सातवां चैप्टर है एडवेंटो आर्यंस एंड द एज ऑफ ऋग्वेद | आठवां है लेटर वेदिक पीरियड्स 1000 से 600 बीसी | तो सातवें चैप्टर यानी जो वैदिक पीरियड है पहले ही पैराग्राफ में लिखा गया है कि आर्यंस इंडो यूरोपियन भाषा बोलते थे | वह रहते थे अल्प्स के पूर्व दिशा में कोई यूरेशिया नाम के जगह पर | आगे लिखा है करीब 2000 बीसी में यह आर्यंस यानी हिंदू ईरान के रास्ते से गुजर के भारत में आए थे और भारत पहुंचे 1600/1500 बीसी में | क्योंकि जो ऋग्वेद है जो हिंदू धर्म की सबसे पहली किताब है उसमें जैद अवस्था के देवी देवताओं के नाम मिलते हैं | और यह नाम उस देश के रहने वाले देवताओं के भी नाम है इस बात का कंफर्मेशन कास्सिटे और मिटाने इंस्क्रिप्शन से पता चलती है | और जब 1500 BC में ये विदेशी आर्यन्स या हिन्दू भारत में बसे, तब ऋग वेद को लिखा | और बात लगभग सभी हिन्दू मानते हैं और प्रचार करते हैं की ऋग वेद को 1500 BC में लिखा गया है |  आगे लिखा है की ये आर्यन्स यानि हिन्दू भारत में आये, तब उनका और यहाँ रहने वाले मूलनिवासियों के बीच लड़ाईया भी हुई है | आर्यन्स उन्हें दासा या दस्यु कहते हैं |  और ऋग्वेद में भी कई बार लिखा गया है की इंद्र के साथ इन दस्यु | कुछ लोग कहते हैं कि यह आर्यन इनवेजन थ्योरी है जो कहता है कि आर्यंस बाहर से भारत आए और मूल निवासियों से लड़े लेकिन इन लड़ाइयां का कोई सबूत नहीं मिलता इसलिए यह आर्यन इनवेजन थ्योरी गलत है | और कुछ लोग कहते हैं कि आर्यन इनवेजन नहीं आर्यन माइग्रेशन हुआ था | इसलिए किसी को लड़ाई के सबूत नहीं मिलते | आर्यन भारत में शरणार्थी की तरह आए थे पीसफुली और धीरे-धीरे अपनी संख्या बढ़ाने के बाद वेद जैसे ग्रंथ लिख लिख के भारत में कब्जा किए | थ्योरी जो भी हो आर्यन इनवेजन या माइग्रेशन एक बात तो कंफर्म होता है कि आर्यंस यानी हिंदू या फिर आजकल जो शब्द ट्रेंड कर रही है सनातनी, विदेशी हैं | 

अब यह पढ़ने के बाद मेरे मन में बहुत सारे सवाल निकल के आते हैं | 

1. कितने हिंदू मानते हैं कि आप लोग यानी आर्यंस विदेशी हैं भारत में बसने के लिए आए थे बाहर से, इसका मतलब यह हुआ कि जितने लोग भी यह दावा करते हैं कि हिंदू धर्म या सनातन धर्म और संस्कृत भाषा भारत की है भारत में शुरू हुई थी लाखों हजारों साल पहले वो सारे दावे झूठ है | वेद पुराण महाभारत गीता रामायण यह सब सिर्फ एक कपोल कल्पित कहानियां हैं, जो विदेशी आर्यंस भारत आने के बाद 1500 BC से लिखना शुरू किए | इससे पूरा हिंदू धर्म का नीव हिल जाता है | इनके सारे दावे झूठ साबित होते हैं | दूसरा सवाल आपके हिंदू धर्म के हिसाब से रामायण या महाभारत को उसी काल यानी त्रेता और द्वापर युग में लिखा गया था | कोई ब्राह्मण ढोकर नहीं आ रहा था साफ-साफ लिखा गया है कि इन ग्रंथों को लिखा है गणेश और वाल्मीकि जैसे ऋषि ने | तो इसका मतलब रामायण और महाभारत 1000 BC के बाद में भारत में कहीं पर हुआ था | इसका मतलब जो हिंदू कहते हैं कि रामायण महाभारत 7000 साल पहले 5000 साल पहले हुआ था यह बातें भी सरासर झूठ है | आप सबको लग रहा होगा कि कहां मैं आपको बुद्ध के पहले भारत में रहने वाले लोगों के विषय में बताने वाला था और कहां आर्यों के बारे में कहे जा रहा हूं | जी हां दोस्तों जब आप भारत के इतिहास को जानने की कोशिश करेंगे आप सबको इन थ्योरी के बारे में भी जानना पड़ेगा ताकि कोई भी डॉट अधूरा ना छूटे | 

तो NCERT पढ़ने से तो हम इतना जान रहे हैं कि अगर यह हिंदू यह क्लेम कर रहे हैं कि इनके ऋग्वेद 1500 BC में लिखा गया है रामायण महाभारत सब 1000 BC के बाद लिखा गया है और यह विदेशी हैं और 1500 BC से यह भारत में मौजूद थे | तो कौन है वह मूल निवासी लोग जो इनसे पहले भारत में रहते थे? हम जानते हैं 3000 BC से 2000 BC तक भारत में मोहनजदारो हरप्पा, सिंधु घाटी राखीगढ़ी जैसे विशाल विशाल सभ्यताएं थी लेकिन इनके बाद कौन सी सभ्यताओं के सबूत मिलते हैं?

यह रहा एएसआई का रिसर्च पेपर इस रिसर्च पेपर में मुझे मेरे सवालों का जवाब मिला इस पेपर में उन उन जातियों उन संस्कृतियों के नाम मिले जो सिंधु घाटी के बाद भारत में रहते थे | और उनमें से एक भी संस्कृति या जाति हिंदू धर्म की नहीं थी ? इस बात को भी आप ध्यान में रखिए क्योंकि इस वीडियो के बाद जब इन जातियों के नाम हर तरफ फैलने लगेगा तो शायद यह लोग इनमें से एक जाति को अपना जाति कह के अपने आप को यहां का बताने की कोशिश कर लेंगे | इसलिए मैं पहले से ही सूचित और आगाह कर रहा हूं | 

एएसआई ने सिंधु घाटी के बाद के सभ्यताओं को पांच भाग में विभक्त कि किया है 

1. सवलद कल्चर 

2. लेट हरप्पन कल्चर 

3. दायमाबाद कल्चर 

4. मालवा कल्चर 

5. जोर्वे कल्चर 

इन पांच कल्चर्सल करते हैं 3320 BC से 1000 BC | यानी लगभग 5300 साल से 3000 साल तक | अब कुछ और सवाल यहां सामने उभर कर आते हैं |

इनमें हिंदू कल्चर या वैदिक कल्चर आपको कहीं पर दिख रही है? 

हमें तो हमारे हिंदू भाई बहन बताते हैं कि 7000 साल पहले रामायण हुआ था 5000 साल पहले महाभारत हुआ था और उनके ऋषियों ने गणेश ने बैठ के उनके ग्रंथ को लिखा था | लेकिन एएसआई कहता है कि इस काल में सिंधु घाटी सभ्यता थी और उससे पहले पूर्व पाषाण काल थे, और उससे पहले पाषाण काल थे, और पीछे जाएंगे तो मानव जाति और ऑनडेवलप्ड मिलेंगे, जो लिखना पढ़ना भी जानती होगी उसका कोई आईडिया नहीं है | कोई भाषा भी रही होगी या नहीं इसका ठोस सबूत नहीं मिलते | सिर्फ Rock Art, जिसे हिंदी में शैली चित्र कहते हैं उन जैसे सबूत दुनिया भर में मिलते हैं | लेकिन इनके क्लेम्म से तो इनका पूरा डेवलप्ड सभ्यता थी, जो पुष्पक विमान जैसे एयरक्राफ्ट बना सकते थे साइंस का इस्तेमाल करके, तो लाजमी की बात है वह सभ्यता एडवांस्ड रहेगी | लेकिन जब आर्कियोलॉजी को देखते हैं उनके सारे क्लेम्म  धुल पर गिर जाती है | इसके बाद और सवाल निकल के आते हैं | कि हिंदू धर्म उनकी सभ्यता उनके देवी देवता उनके विमान के फैक्ट्रीज ऋषियां जो रामायण काल के पहले से ही लिखाई पढ़ाई करती थी वह सब कहां थे शायद यूरेशिया में होंगे जैसे NCERT में पढ़ाया जाता है इसलिए तो भारत में इनका सबूत नहीं मिलता | अब देखते हैं उन ट्राइब्स जो ASI के दिए गए पांच फेज में भारत में रहा करते थे मैं पूरा डिटेल्स इस वीडियो में नहीं बताऊंगा आप हमारे ब्लॉगर में जाके बाद में इन कल्चर्सल से पढ़ लीजिए | 

1. कायथ कल्चर- 2200 BC से 1800 BC-  इस कल्चर के प्रमाण मिलते हैं मध्य प्रदेश के उज्जैन और उसके आसपास के इलाकों में इस काल में धातु से बने हुए कई तांबे की चूड़ियां कुल्हाड़ी तांबे की छैनी मनके का हार लोहे के कई उपकरण, मिट्टी की पशु और मानव की छोटी-छोटी मूर्तियां जैसे कई अवशेष मिले |

2. मालवा कल्चर 1600 BC से 1200 BC- मालवा कल्चर के भी प्रमाण मिलते हैं एमपी के कायथ कल्चर के इलाकों में और वेस्ट यानी पश्चिम एमपी के इलाकों में | यह कॉपर एज है मतलब ताम्र पाषाण के सबूत मिलते हैं | कॉपर के बर्तन कच्ची ईटों का घर जो जो गोलाकार होते हैं वैसे मिलते हैं | एएसआई कहते हैं कि यह कल्चर मूल रूप से भारतीय नहीं है विदेशी हैं | और शायद इसी विदेशी कल्चर को ध्यान में रख के लोग कहते हैं कि आर्यंस यानी हिंदू विदेशी हैं |

3.अहर कल्चर 1720 BC से 1500 BC- इस संस्कृति के सबूत मिलते हैं साउथ ईस्ट राजस्थान में राजस्थान के अड़ और गिल नाम के जगह पर खुदाई हुई तो बहुत सारे प्रमाण मिले ये लोग गाय बकरी भेड़ सुअर ऊंट पालते थे | खेती करते थे और मांसाहारी थे |

4. सवलद कल्चर 2200 BC से 2000 BC- इस संस्कृति के सबूत मिले मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के क्षेत्रों में यह काल भी कॉपर एज का था क्योंकि कॉपर के बर्तन चूड़ियां मनका मिट्टी के बर्तन और हड्डी से बने औजार मिले |

5.जोर्वे कल्चर 1400 BC से 1000 BC- और कुछ-कुछ 700 BC तक के सबूत मिले इस संस्कृति के लोग पूरे महाराष्ट्र में रहते थे सिर्फ कोंकण एरियाज में इनके सबूत बूत नहीं मिलते यहां के लोग भी कृषक और पशुपालन करते थे कोई जातिवाद वर्णवाल का सबूत नहीं मिलता |

6. चिरांद कल्चर 1500 BC से 700 BC और 

7.गैरिक मृत भांड कल्चर 2000 BC से 1500 BC | यह सब तो बड़े-बड़े कल्चर्सल हों पर भी छोटे-छोटे कबीले रहते होंगे जिनका बहुत कम सबूत मिलते हैं |

8. इसके बाद आप जानते हैं हरियांका वंश के सम्राट बिंबिसार बने इनकी राजधानी राजगृह यानी आज की राजगीर बताई जाती है जब मगध के राजा थे यहां एक दीवार बना हुआ है जिसे साइक्लोपीयन वॉल कहा जाता है और कहा जाता है कि बिंबिसार ने बुद्ध को अपना एक बांस वाली वाटिका तोहफे में दिया था जिसे पाली भाषा में वेणुवन कहा जाता है | और फिर इनके बेटे आजाद शत्रु ने बौद्धों का प्रथम यानी पहली संगति की थी |

9. हरियां वंश के बाद आए शिशुनाग वंश जिनके सम्राट शिशुनाग थे और ऐसा कहा जाता है कि इनके बेटे के कला शक के समय दूसरी संगति हुई थी बौद्धों का | आपने हमारे कल्प विग्रह के वीडियो में देखा था जहां हमने कहा था कि उस मूर्ति पर जो सर्प जो नाग है वह नागवंश के कारण उस मूर्ति में आया था | वह नागवंशी यही थे | 

10. फिर नागवंश के बाद आते हैं नंद वंश का शासन उनके राजा का नाम है महापद्मनंद |

11. इसके बाद आते हैं मौर्य काल चंद्रगुप्त मौर्य फिर उनके पौते सम्राट अशोक |

12. मौर्य वंश के बाद शुंग वंश जिनके राजा पुष्यमित्र शुंग थे | उन के समकालीन राजा थे कनव वंश, सतवाह वंश जिनके राजा का नाम था सतक प्रथम | और शकास वंश, कुषाण वंश, साउथ में चोला छेरा और पांडेस |

13. फिर शुरू हुआ गुप्त वंश का राज फिर हर्षवर्धन और उनके समकालीन राजा थे वककास, पल्लवास, चालुक्यास, नास मैत्रका, राजपूत्स सेना और चौहानस

नाम बहुत है देश बड़ा है ये सभी लोग अपने-अपने क्षेत्रों में राज किए 700 AD तक | 

14. फिर 712 में मुस्लिम इवेडर मोहम्मद बिन कासिम ने पहली बार सिंध पर आक्रमण किया | उसके बाद धीरे-धीरे मुस्लिम दौर शुरू हुआ | इसके बाद का इतिहास तो आप सबको कहीं ना कहीं पर मिल जाएंगी | 

एक बात आप सबको अचंभे में डाल देगी जब आप सुनेंगे कि इन सभी सभ्यताओं की खोज किसने की | भारत में मिले जितने भी सभ्यता भाषा लिपि ग्रंथ यूनिवर्सिटी सम्राटों के नाम उन सब की खोज किसने की | भारतीयों ने? जी नहीं दोस्तों अंग्रेजों ने | जिन अंग्रेजों को हम गाली देते नहीं थकते उनमें से कुछ विद्वान अंग्रेजों ने भारत के असली इतिहास को दुनिया के सामने रखा | मैं अंग्रेजों का सपोर्टर नहीं हूं उसके लिए तो सावरकर ही काफी थे | मैं उन अंग्रेजों का कट्टर विरोधी हूं जिन्होंने भारत को गुलाम बनाया हम पर इतना अत्याचार किया | वह बिजनेस करने आए थे डिक्टेटर बन गए | यह अंग्रेज धूर्त और अत्याचारी थे | लेकिन मैं उन अंग्रेजों की तारीफ करना चाहूंगा जो यहां लूटने नहीं बल्कि हमारे भारत को धनवान करने आए थे, हमें हमारे इतिहास का खजाना देके चले गए | हमारे असली इतिहास को उन्होंने खोजा और हमें दिया | उन्होंने ASI की स्थापना कि | उन्होंने भारतीयों को सिखाया कि कैसे प्राचीन इतिहास को ढूंढना चाहिए | अगर यह बुद्धिजीवी लोग कुछ समय और भारत में रहते तो हमारे पास इतना सबूत होता कि भारत के बच्चे बच्चे को अपने देश के प्राचीन इतिहास का ज्ञान पता होता | लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उनके जाने के बाद सब कुछ धीमा पड़ गया और हमारे पास अभी तक बहुत सारी चीजों का प्रमाण नहीं है | 

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