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अकबर का पूर्व जन्म एक ब्राह्मण के रूप में था | How and Why Akbar was a Brahman in his Previous Birth

अकबर का पूर्व जन्म एक ब्राह्मण के रूप में था ?


भारत में हज़ारो सालो से मूलनिवासी रहे थे, जो कबीलो के रूप में पूरे देश में निवास करते थे। लेकिन जब विदेशी आर्यन्स जो पहले अपने आप को हिन्दू कहलवाते थे, और आज 21st सदी में सनातनी कहलवाते हैं, वह आये | वह अपने धर्म को दुनिया के सभी धर्मो से पुराना साबित करने के लिए, बहुत सारे कहानियों भरा किताब लिखना शुरू कर दिए।  जैसे की वेद, पुराण, उपनिषद्स, रामायण, महभारता, गीता | उन्ही पुराणों में से एक पुराण जिसका नाम है भविष्य पुराण।  कहा जाता है इस पुराण को महाऋषि वेद व्यास ने लिखा है। 

महा ऋषि वेद व्यास कौन था और किस काल खंडा में जनम हुआ था ?

महाभारत के आदि पर्व अध्याय 104 श्लोक 1-15 के अनुसार, जब सत्यवती कुंवारी थी, और वह नाव में बैठी थी, तब "परासर" नामक एक ऋषि उनके नाव में बैठे।  सत्यवती के सुंदरता को देखके कामुक होक, ऋषि परासर नै सत्यवती के साथ सम्भोग किया उसी नाव में।  उनके अवैध मिलन से पैदा हुआ था "वेद व्यास"। 

हिन्दू कहते हैं की महाभारत आज से ५००० साल(3000 BC) पहले हुआ था, इसका मतलब वेद व्यास भी ५००० साल(3000 BC) पहले कहीं पर रहते होंगे । तोह ५००० साल(3000 BC) पहले वेद व्यास अपने भविष्य पुराण में कुछ इस तरह लिखते है, की मुग़ल शाशक अकबर पूर्व जनम में एक ब्राह्मण थे। संक्षिप्त भविष्यपुराण के प्रतिसर्गपर्व के चतुर्थखण्ड (पृष्ठ-373-374, चित्र-1-3) में इनकी कहानी लिक्खी गयी है। अकबर भी एक शंकराचार्य के गौत्र से था।  लेकिन कुछ भूल करने पर, वह अगले जन्म में म्लेच्छ (मुसलमान) बनकर पैदा हुआ। 

इस पुराण के अनुसार इलाहाबाद जो आज प्रयागराज नाम से जाता है, वहां मुकुंद नाम के एक ब्राह्मण अपने बीस शिष्यों के साथ तपस्या कर रहे थे। और जब उन्हें पता चला की एक म्लेच्छ बाबर ने भारत पर आक्रमण करके, मंदिर और उनके देवताओं के मूर्ती तोड़ने लगा, तब दुखी होके अपने बीस शिष्यों के साथ सामूहिक आत्मादाह कर लिया, और फिर अगले जन्म में वह, अकबर एक मुसलमान बनकर पैदा हुआ। और उनके बीस शिष्य भी अकबर के दरबारी मुसलमान बनकर पैदा हुए ।  

Question: यहाँ पर एक सवाल उठता है।  एक ब्राह्मण कुल का मुकुंद, क्यों अगले जन्म में एक म्लेच्छ मुसलमान बनकर पैदा हुआ? ऐसा क्या पाप किया था ब्राह्मण नै? या फिर ये पुराण किसको खुस करने के लिए लिखा गया है ?

भविष्य पुराण के अनुसार एक बार ब्राह्मण मुकुंद नै अज्ञानता वश दूध पी लिया, जिसमे गाय का रोम पड़ा हुआ था।  और पता नहीं क्यों ये एक दोष है, और इसी वजह से जब उन्होंने आत्मदाह किया, तब अगले जन्म में वह म्लेच्छ मुसलमान बनकर पैदा हुए ।  

अब देखते हैं इस कहानी में कितनी सच्चाई है, सच्चाई है या ये भी एक और कपोल कल्पित कहानी है, जैसे हिन्दू धर्म के सभी किताबें है, जिनका इतिहास में कोई प्रमाण नहीं मिलता  । 

1.हिन्दू धर्म के हिसाब से जब कोई अज्ञानता से भी कुछ कार्य करता है तोह वह पाप होजाता है। तोह जब हिन्दू कहते हैं की कृष्णा ने अपने बचपन में बहुत सारे कर्म किये जैसे की गोपियों के कपडे चुराना, उन्हें लज्जित करवाना, उन्हें नंगी अवस्था में पानी से बहार निकलना, ये भी तोह पाप हुआ। लेकिन यहाँ पर तोह ब्राह्मण मुकुंद ने एक रोम को निगल लिया और वह भी अज्ञानता मे । रोम तोह जीवित वस्तु नहीं है, नाकि उसकी कोई आत्मा विवेक लाज ऐसा है, तोह कृष्णा कैसे भोले होगये और ब्राह्मण मुकुंद कैसे पापी?

2.उनके शिष्यों नै कैसा पाप करलिया जो वह सभी भी म्लेच्छ योनि में पैदा होगये? 


3.अकबर का असली नाम है जल्लालुद्दीन।  मतलब जिस ब्राह्मण ने भविष्य पुराण को लिखा, उसको इस बात का पता नहीं था, उसको सबसे प्रचलित नाम के बारे में ज्ञान था, जो उस वक़्त अकबर से प्रचलित था। और अकबर को अरबी में महान को कहा जाता है। बादशाह अकबर उदार-हृदय का था और इसीलिये उसे अकबर कहा जाता था। इसका मतलब इस पुराण को ५००० साल पहले वेद व्यास नै नहीं, बल्कि मुग़ल शासन में अकबर के कार्यकाल में किसी ब्राह्मण द्वारा रचा गया है, ताकि बादशाह अकबर को खुस किया जा सके ।  

4.भविष्य पुराण में लिखा गया है की अकबर के अब्बू हुमायूँ को आकाशवाणी हुई थी अकबर के बारे में की तुम्हारा बेटा बड़ा प्रतापी और और भग्यशाली होगा। इसीलिए उसका नाम अकबर रखना। लेकिन हमने देखा की अकबर नाम बहुत बाद में जलालुद्दीन भारत में आने के बाद पड़ा।  लेकिन जब हम अकबर के जीवनी को पढ़ेंगे "आई ने अकबरी" जिसको अबुल फजल नै लिखा है। उसमे कहीं पर भी नहीं लिखा है की जलालुद्दीन के पिता को कोई आकाशवाणी हुई थी। सोचिये दोस्तोः एक बादशाह को आकाशवाणी होने की खबर सभीको जानकार होगी, लेकिन अबू फजल नै कहीं पर भी इसका ज़िक्र किया। इसका मतलब साफ़ है, इस भविष्य पुराण को अकबर के शासन काल में किसी चाटुकार ब्राह्मण नै ही लिखा है |

5.हिन्दू कहते हैं की रोम रोम में देवता बास्ते है। और गाय के रोम में तोह ईश्वर बस्ते हैं । तोह अगर एक ब्राह्मण ने अज्ञानता वश भी उस रोम का सेवन कर लिया, तब ये पाप कैसे हुआ, ये तोह पुण्य होना चाहिए था । यदि गाय का रोम सेवन करने से अगले जन्म में गाय-भक्षण करने वाला बनकर पैदा होना है, तो गाय पालने का क्या फायदा हुआ? ऐसे तो बहुत सारे लोग म्लेच्छ बनकर पैदा होने वाले हैं।  कितनी कपोल कल्पित कहानी है ये। 

सोचिये दोस्तो। जिस अकबर को आज नीचा दिखाने के लिए एक वर्ग के लोग जी तोड़ म्हणत किये जा रहे हैं | वास्तव में उस समय यही लोग उनके चाटुकार बनकर घूमते फिरते थे, उनके दरबारी बनकर ऐशो आराम की ज़िन्दगी बिताते थे । आज ट्रोल सेना और बहुत सारे लोग अकबर को नीचा दिखाकर ये साबित कर रहे हैं की उनकी धार्मिक ग्रन्थ झूठे हैं। क्यूंकि उसी धार्मिक ग्रन्थ में ही लिखा है की अकबर एक महान राजा था जिसकी आकाशवाणी उनके ही ईश्वर नै की थी । ऐसे ही बुरे फसते हैं आप जब कहानियों को इतिहास कहके प्रचारित करेंगे। 

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