Aeroplane Mentioned in Valmiki Ramayana | Duniya ka Pehla Vimaan Udayagaya tha Ramayana Kaal mei
Aeroplane Mentioned in Valmiki Ramayana | दुनिया का पहला विमान उड़ाया गया था रामायण काल में
सातवीं सदी में अरब में एक कहानी बड़ी ही मशहूर थी जिसके बारे में आप इस्लामिक लिटरेचर से भी जान सकते हो, “जादुई कालीन या मैजिकल कारपेट” जो उड़ सकती थी | आज आपने भी इसे टीवी-मूवीस में देखा होगा, यह कालीन, अलादीन के पास था | उस समय के लोग और आज भी कई सारे लोग मानते हैं कि यह कालीन उस समय अरब में सचमुच मौजूद था | अब सोचिए, अगर लोग इस जादुई कालीन को साइंस का नाम देकर इसे साइंस के साथ जोड़ देते तो यह कितनी हास्यत्पत की बात होती, है ना | और यह विज्ञान के लिए भी शर्मनाक बात होती | शुक्र है कि यह कहानी बाहर की पैदाइश थी और बाहर के लोग इतने समझदार हैं, यह समझने के लिए की इस कहानी में कोई सत्यता नहीं है, यह बस एक काल्पनिक सोच थी लेखक की |
इसे पढ़ते पढ़ते बहुत सारे लोग जो हमसे नाराज होंगे और अपने संस्कारी गलियों से कमेंट सेक्शन भर देंगे और कहेंगे क्या तुम गधे हो? तुमने वैमानिक शास्त्र नहीं पढ़ा है? हमारे हिंदू धर्म के बनाया हुआ विमान, और उसका डिजाइन वहां दुनिया के सामने प्रस्तुत किया गया, और दुनिया इसे देखकर हैरान हो गए थे, और 19वीं सदी में ही एक भारतीय जिनका नाम है पहले मॉडर्न एयरक्राफ्ट या विमान उड़ाया था ऋषि भारद्वाज के बने हुए वैमानिक शास्त्र का इस्तेमाल करके | यह तो बाद में राइट ब्रदर्स ने हमारे आविष्कार को चुराके, एयरप्लेन बना दिया था | मगर दुनिया का पहला एरोप्लेन या विमान हमारे वैदिक काल में बन चुका था, और आज के मॉडर्न युग में भी हमारे हिंदुओं ने ही एयरप्लेन बनाया था | तुम क्रिश्चियन मिशनरी बस है झूठ फैलाना जानते हो और हमारे हिंदू धर्म को बदनाम करते रहते हो | मैं इन लोगों से कहना चाहूंगा थोड़ा ठंड रख दोस्तों | हमारे इस वीडियो में बापूजी तलपडे और ऋषि भारद्वाज के विमान और वैमानिक शास्त्र को पूरी तरह एक्सपोज़ कर दिया है |
यह वाल्मीकि रामायण है जिसको पहली बार 1927 में हिंदी में अनुवादित किया गया था और इसका पहला संस्करण सन 2000 में छपा था |
इस किताब को स्टार्टिंग में ही इसके लेखक ने यह कहा, इस इतिहास ग्रंथ रत्न श्रीमद् वाल्मीकि रामायण में भीभूमिका है और यह भूमिका स्वयं आदि कवि की लिखी हुई नहीं है, प्रत्येक उनके किसी या परिशिसय के लिखी हुई है | मतलब 1927 में इनका कहना है कि उनके पास ओरिजिनल पूरी संस्कृत मनुस्क्रिप्ट या पांडुलिपि यह हस्तलिपि नहीं है | बल्कि लोगों ने कहीं से गैस करके या कहीं-कहीं साल के इसे प्रस्तुत किए हैं और उसका अनुवाद हम कर रहे हैं | पुष्पक विमान का जिक्र होता है वाल्मीकि रामायण का थर्ड चैप्टर यानी अरण्यकांड में |
वाल्मीकि रामायण अरण्यकांड 48 सर्ग श्लोक 5 और 6 में रावण सीता को कहता है- कि कुबेर मेरी भय से अपना घर बार छोड़कर कैलाश में जा बसा |
और शोक 6 में कहता है- कि उसके सुंदर और इच्छाधारी पुष्पक विमान को मैं बरजोरी उसे छीन लिया है, मैं इस विमान में बैठ, आकाश में घूमा करता हूं |
ठीक है, अब देखते हैं वाल्मीकि रामायण इस पुष्पक विमान के बारे में और क्या-क्या कहता है | जब रावण एक ऋषि का रूप धरके सीता को हरण किया और अपने इस विमान से ले गया |
चलिए पढ़ते हैं वाल्मीकि रामायण चैप्टर थर्ड अरण्यकांड सर्ग 39 श्लोक को 20 में यह लिखा है |
सीता को इस प्रकार पकड़ लिया जिस प्रकार आकाश में बुद्ध ने रोहिणी को पकड़ लिया था रावण ने बाएं हाथ से सीता के सिर के बाल को और दाहिने हाथ से दोनों उरुओं को पकड़ा | उसे समय कल के समान, पैने दांतो वाले, और लंबी भुजाओं वाले, तथा पर्वत के समान लंबे चौड़े डील डौल वाले रावण को देख, वनदेवता भयभीत हो गए | तदांतर रावण के मायामाया आकाशचारी बड़ा रथ जिसमें खच्चर जुटे हुए थे, और जिसके पहिए सोने के थे |
भाई यह कैसा पुष्पक विमान है जहां खच्चर लगे हुए हैं, और पहिये भी लगे हुए हैं? पहिए तो लगा सकते हैं क्योंकि एयरप्लेन को टेक ऑफ करने के लिए लंबा रनवे चाहिए | लेकिन इच्छा से उड़ता विमान में पहिए और खच्चर की क्या जरूरत? चलो कोई बात नहीं |
आगे श्लोक 21 और 22 में यह लिखा है
फिर गोदी में उठा सीता को रथ में बिठा लिया |
यहां फिर से पुष्पक विमान को रथ कहा गया है | बस यह कहा गया है कि यह रथ आसमान में उड़ सकता है |
श्लोक 23 और 24 में यह लिखा है
रावण चटपटाती सीता को लेकर रथ सहित आकाश मार्ग से चल दिया |
यहां भी फिर से रथ और आकाश मार्ग लिखा गया है | और जब रावण सीता को लेकर चल देता है रास्ते में उसकी लड़ाई जटायु से होती है | और फिर से इस विमान यानी रथ का जिक्र होता है |
वाल्मीकि रामायण चैप्टर थर्ड अन्य कांड 51 सर्ग स्लोका 16- उस बली जटायु ने रावण के सुगंध में दिव्य कवच तोड़ अति शीघ्र दौड़ने वाले और पिशाचों जैसे मुख वाले रथ में जुटे हुए खतरों को मार डाला |
तो यहां जो रावण के रथ के बारे में लिखा गया है कि उसमेंजो खच्चर जुटे हुए थे वह वास्तव में जीवित खच्चर थे. तभी उसको जटायु ने मार दिया | यहां एक सवाल उठ सकता है कि खच्चर या घोड़े या ऊंट या बेल पहले के जमाने में विमान में लगते थे या रथों और बैलगाड़ी में? समझदार लोग समझ गए होंगे |
आगे श्लोक 17 में यह लिखा है- तेरी इच्छागामी अग्नि के समान चमचमाता और मानो के बने पवदानो से युक्त तथा इसके हुए में बांस पास लगे हुए थे ऐसे रावण के बड़े रथ को जटायु ने तोड़ डाला |
फिर से विमान को उड़ता रथ कहा गया है, और खुद लेखक धीरे-धीरे अपने किताब और इस काल्पनिक विमान की पोल खोल रहे हैं |
आगे श्लोक 19 में यह लिखा है- फिर महाबली पक्षी राज्य जटायु ने अपनी चोंच के प्रहार से रावण के सारथी का बड़ा सर भी काट डाला |
तो यह रामायण के लेखक ने पूरी तरह क्लियर किया है कि रावण के पास जो विमान या रथ था, जो अपने इच्छा से आसमान में उड़ सकता था, उसमें जीवित खच्चर और एक सारथी की जरूरत पड़ती थी | एक सवाल जो इसमें भी निकल रही है | कि अगर यह रथ अपने मन यानी मलिक के मन से उड़ सकता है, और कहीं भी पहुंच सकता है, गायब हो सकता है, जैसा पहले के श्लोक में लिखा गया है तो इसमें जिंदा खच्चर और सारथी की क्या जरूरत ? एक सारथी की जरूरत कहां पर होती है रसों पर और वाल्मीकि रामायण में बार-बार इस रथ कहकर बुला रहे हैं |
इसमें आगे लिखा है श्लोक 22 में- अक्षय राज्य जटायु को बुढ़ापे के कारण तथा जान रावण अत्यंत प्रसन्न हुआ और सीता को लेकर फिर आकाश मार्ग से चल दिया |
तो यहां आप देख पा रहे हैं कि रावण आकाश में बिना कैसे रथ या विमान के भी उड़ सकता है | अब सोचिए इस किताब के लेखक के हिसाब से रावण उड़ सकता है रात भी उड़ सकते हैं हनुमान भी उड़ सकते हैं | यहां पर साफ हो रही है कि इस कहानी के लेखक ने कई चीजों को जादू या चमत्कार के रूप में प्रस्तुत किया है, जो की एक विश्वास के लिए ठीक है, लेकिन आज हम लोग इस विमान का नाम देखें गुमराह करने की कोशिश करते हैं, और इससे टेक्नोलॉजी का नाम देखें अपने आप को बाकियों से ऊंचा दिखाने की कोशिश करते हैं | अगर रावण का रथ विमान था तो रावण कौन से टेक्नोलॉजी से खुद आकाश मार्ग में उड़ रहा था?
तो दोस्तों हमने देखा वाल्मीकि रामायण के लेखक ने जिस विमान यानी रथ के बारे में लिखा है, वह आज के विमान से कुछ भी मेल नहीं खाता | मेरे हिसाब से वाल्मीकि रामायण का रथ जादुई रथ था, और वह जादू से उड़ सकता था, जैसे हनुमान उड़ाते थे | अगर उसमें कुछ विज्ञान का इस्तेमाल हुआ था तो हमें उसका टेक्निकल प्रक्रिया दिखा दीजिए, कि कौन सी टेक्नोलॉजी बना हुआ था | क्योंकि वाल्मीकि रामायण में सिर्फ इतना ही लिखा गया है कि वह रथ विमान की तरह उड़ सकता है | क्योंकि जरा सोच मेरे दोस्तों राइट ब्रदर्स ने जब 1903 में अपना विमान उड़ाया था और आज कितने साल बीत गए? सिर्फ 116 साल | और सिर्फ 116 साल के अंदर ही हमारे पास कितने अत्याधुनिक विमान है आप सोच भी नहीं सकते | और अगर उसे जमाने में हिंदुओं के पास ऐसे आधुनिक टेक्नोलॉजी थी, जैसे कि कुछ लोग दावा करते हैं, तो क्या सिर्फ एक विमान का जिक्र होता? हिंदू धर्म के अनुसार उनके एक युग लाखो सालों का होता है | अगर हमें आज के युग में सिर्फ 116 साल के अंदर ही विमान, कार, मोटरसाइकिल, टेलीफोन का आविष्कार कर सकते हैं | तो क्यों उस युग के अत्यधिक हिंदुओं ने एक भी अविष्कार नहीं किया जिसे आज हम इस्तेमाल करते हैं? क्यों हम सिर्फ एक ही पुस्तक विमान के बारे में पढ़ते हैं, जो रावण की थी और उसने भी किसी और से चुराया थी ?
क्यों हम एक भी दूसरे टेक्नोलॉजी के फैक्ट्रीज नहीं देख पाते भारत में या पूरी दुनिया में?
क्यों लाखों सालों में हिंदुओं ने हजारों विमान या मोटरसाइकिल या टेलीफोन मोबाइल फोंस का आविष्कार नहीं किया?
क्यों हमें इस युग का इंतजार करना पड़ा और वह भी क्रिश्चियन और बाहर के लोगों ने सब कुछ आविष्कार किया?
कहां थे आपके वैदिक वैज्ञानिक जिनके पास लाखों सालों से अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी था, वेद थे, वैमानिक शास्त्र थे, एक श्राप से खत्म करने वाले बड़े-बड़े ऋषि थे, लेकिन एक भी अविष्कार नहीं था?
क्यों बाहर के लोगों के आविष्कार करने से पहले इन वेदों को पढ़ने वालों ने एक भी आविष्कार नहीं किया?
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