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क्या हम प्रसाद खा सकते हैं ? (Kya hum Prasad Kha Sakte hei?)

प्रसाद खाने के विषय मे क्या करे मसीही?


जय मसीह की दोस्तों। आज इस आर्टिकल में आपको एक सवाल जो आपके भी मन में हो और कई सालों से आप इसका जवाब जानना चाहते हो |  जो सच्चे और बाइबल के अनुसार चलने वाले क्रिश्चियन हैं उनको खुदा ने बहुत ही यूनिक तोर पर यानी अनोखे रूप में और विशेष रूप में चुनाव है क्योंकि उनको बनाने वाला खुदा खुद यूनिक है अनोखा है और विशेष है | लेकिन यह विशेषता और अनोखापन क्रिश्चियन के और दूसरों के बीच एक अंतर को दिखता है | और कई बार ये अंतर हमको ऐसे स्थिति में पहुंच देता है जहां पर हमें कुछ दिक्कतों का और तकलीफों का सामना करना पड़ता है | ऐसे अनेक परिस्थितियों में से आज एक स्थिति के बड़े में देखेंगे जो बहुत ही आम है और ये स्थिति में आप कभी भी ए सकते हैं. स्कूल में कॉलेज में आपके आप पड़ोस में या फिर आपके ऑफिस में और ये स्थिति ज्यादातर त्योहार के समय में आता है, जैसे की दिवाली हो गया, या फिर गणेश पूजन हो गया | हमारे जो भारत के लोग हैं ना ,बहुत ही दिल के प्यारे लोग हैं, और हमेशा अपने खुशी को बांटते हैं

तो जब भी हमारे हिंदू भाई बहन मंदिर जाते हैं, या फिर उनके घर पर पूजा होता है, या फिर कोई त्योहार होता है अपने खुशी को बांटने के लिए वो प्रेम के साथ प्रसाद लाकर देते हैं | तो यहां पर एक क्रिश्चियन के दिल में बड़े सवाल पैदा होने लग जाता है और उनके दिमाग में युद्ध शुरू हो जाता है, की ये प्रसाद को अब मैं लूं, खाना चाहिए नहीं खाना चाहिए, अगर मैं मना कर दूंगा तो उनको बहुत बुरा लगेगा | वो लोग कहेंगे, की तुम क्रिसमस में केक देते हो हम मना नहीं करते हैं, ईस्टर में चॉकलेट देते हो हम ले लेते हैं, तो मेरे दोस्त को बहुत बुरा लगेगा | तो क्या मुझे ये खाना चाहिए या नहीं खाना चाहिए? 

दोस्तों ऐसे स्थिति में मैं खुद रह चुका हूं, और मैं समझ सकता हूं उसे समय मैं आपके दिमाग में और हृदय में क्या चला होगा तो आज इसी सवाल के ऊपर हम थोड़ा नजर डालेंगे और ये देखेंगे की क्या क्रिश्चियन होते हुए हम प्रसाद ले सकते हैं? क्या हम का सकते हैं? हां या ना? 

यह निर्णय लेने से पहले, हमें जानना जरूरी है की यह शब्द प्रसाद का मतलब क्या है और उसे शब्द के अंदर क्या-क्या अर्थ हैं क्या-क्या बातें हैं | मैं मेरे एक्सप्लेनेशन को दो पॉइंट और दो सवालों के साथ आपके सामने पेस करूंगा |


पहले पॉइंट - प्रसाद वो चीज है उसका मतलब है खाद्य पदार्थ या कोई भी वस्तु देवी देवताओं को और भगवानों को चढ़ाया जाता है, और उसके भक्ति उसे खाता हैं | जो हरे कृष्णा वाले हैं वो भागवत गीता के आधार पर मानते हैं की यह पूरे सृष्टि और ये पूरे दुनिया का सृजनहर कृष्णा है यानी की पूरे दुनिया को कृष्णा ने बनाया है | सभी चीज कृष्णा की हैं | तो हमें उनको पहले चढ़ाना होगा उसे स्वीकार करेंगे फिर उसके बाद उनके भक्ति उसे खाते हैं जिसे प्रसाद कहते हैं |

पहले सवाल - ये मानते हैं की यीशु मसीह के अलावा दूसरा भगवान है या कोई और देवी देवताएं हैं? बाइबल साफ इस बात को स्वीकार करती है, की यीशु मसीह के अलावा कोई और देवी देवता नहीं है, और यीशु के अलावा कोई और सृष्टि करता नहीं है | तो जब हम प्रसाद लेते हैं और खाता हैं, तो क्या हम यह बात को स्वीकारते नहीं है, मानते नहीं है, की यीशु के अलावा कोई और देवी देवता भी है भगवान भी अस्तित्व में है और कृष्णा यह संसार का सृष्टि करता है | तो क्या हमें प्रसाद खाना चाहिए?

दूसरा पॉइंट - यह जो शब्द प्रसाद है प्रसादम कहते हैं | प्रसाद ये एक संस्कृत शब्द है अगर एकदम साधारण रूप में उसका परिभाषा या आपको लिटरल मीनिंग समझना है, तो वो वस्तु या फिर वो खाने की चीज जिसके ऊपर भगवान का, देवी देवताओं का आशीर्वाद उतरता है या फिर कृपा उतरता है | हर ए कृष्णा वाले भागवत गीता 2: 65 के आधार पर वो ये कहते हैं- प्रसाद ए सर्व दुखनाम हानियां पर जयते |मतलब कृष्णा का कृपा दया अपने से सारे कष्ट मिट जाएंगे | तो जो प्रसाद खाता हैं उनका कष्ट और पुनर पाप दूर हो जाते हैं क्योंकि प्रसाद पर कृष्णा का कृपा होता है |

दूसरा सवाल- जैसे हम क्रिश्चियन बाइबल के आधार पर यह नहीं मानते हैं की यीशु के अलावा कोई और खुदा है, तो क्या हमें वो वस्तु खानी चाहिए वो प्रसाद खाना चाहिए, जिस पर वह देवी देवताओं का, भगवान का आशीर्वाद है, या कृपा उतरा है जो अस्तित्व में नहीं है | यीशु मसीह ने हमें शांति देने के लिए आनंद देने के लिए पाप और श्राप से छुड़ाने के लिए सली पर अपनी जान दी | क्या इस बात को मानते हुए प्रसाद खाकर स्वीकार करके हम यह भी मानते हैं की कृष्णा की कृपा हमें मुक्ति देती है | दोनों बातों को कैसे मां सकते हैं | दोनों में से एक ही सही होगा या तो यीशु मसीह का बलिदान क्रोध का हमें मुक्ति देता है या तो कृष्णा का कृपा हमें मुक्ति देता है | तो क्या हमें प्रसाद खाना चाहिए? आपको निर्णय लेना है | 


लेकिन कुछ हमारे क्रिश्चियन भाई हैं जो अपने आप को बहुत ही ज्ञानी समझते हैं वो कहते हैं की यार देखो, यीशु के अलावा कोई खुदा नहीं है, आकाश पृथ्वी यीशु मसीह ने बनाया है कोई मूर्ति नहीं है कोई देवी-देवता नहीं है, तो जब वो लोग हैं ही नहीं तो उनको चढ़ाने पर उनका क्या आशीर्वाद उतरेगा, क्या उसे पर करूंगा उतरेगा | तो कुछ नहीं यार का सकते हैं | ऐसे ज्ञानी क्रिश्चियन भाइयों के बारे में पौलुस ने 1 कुरीतियां अध्याय 8 वचन 1 - 11 में लिखा है उन्होंने | 4 वचन से लेकर 6 वचन तक जो मैंने ज्ञानी क्रिश्चियन के बारे में बताया जो ऐसा बात करते हैं पौलुस ने भी उनके बड़े में लिखा है पढ़ कर देखिए आप 1 कुरीतियां आठवां अध्याय वचन 1- 11

1 अब मूरतों के साम्हने बलि की हुई वस्तुओं के विषय में हम जानते हैं, कि हम सब को ज्ञान है: ज्ञान घमण्ड उत्पन्न करता है, परन्तु प्रेम से उन्नति होती है।
यदि कोई समझे, कि मैं कुछ जानता हूं, तो जैसा जानना चाहिए वैसा अब तक नहीं जानता।
परन्तु यदि कोई परमेश्वर से प्रेम रखता है, तो उसे परमेश्वर पहिचानता है।
सो मूरतों के साम्हने बलि की हुई वस्तुओं के खाने के विषय में हम जानते हैं, कि मूरत जगत में कोई वस्तु नहीं, और एक को छोड़ और कोई परमेश्वर नहीं।
यद्यपि आकाश में और पृथ्वी पर बहुत से ईश्वर कहलाते हैं, (जैसा कि बहुत से ईश्वर ओर बहुत से प्रभु हैं)
तौभी हमारे निकट तो एक ही परमेश्वर है: अर्थात पिता जिस की ओर से सब वस्तुएं हैं, और हम उसी के लिये हैं, और एक ही प्रभु है, अर्थात यीशु मसीह जिस के द्वारा सब वस्तुएं हुईं, और हम भी उसी के द्वारा हैं।
परन्तु सब को यह ज्ञान नही; परन्तु कितने तो अब तक मूरत को कुछ समझने के कारण मूरतों के साम्हने बलि की हुई को कुछ वस्तु समझकर खाते हैं, और उन का विवेक निर्बल होकर अशुद्ध होता है।
भोजन हमें परमेश्वर के निकट नहीं पहुंचाता, यदि हम  खांए, तो हमारी कुछ हानि नहीं, और यदि खाएं, तो कुछ लाभ नहीं।
परन्तु चौकस रहो, ऐसा  हो, कि तुम्हारी यह स्वतंत्रता कहीं निर्बलों के लिये ठोकर का कारण हो जाए।
10 क्योंकि यदि कोई तुझ ज्ञानी को मूरत के मन्दिर में भोजन करते देखे, और वह निर्बल जन हो, तो क्या उसके विवेक में मूरत के साम्हने बलि की हुई वस्तु के खाने का हियाव  हो जाएगा।
11 इस रीति से तेरे ज्ञान के कारण वह निर्बल भाई जिस के लिये मसीह मरा नाश हो जाएगा।

 

और वैसे भाइयों के लिए पौलुस जो है सातवें वचन में देखिए क्या जवाब देते हैं वह कहते हैं |

7 किंतु यह ज्ञान हर किसी के पास नहीं है कुछ लोग जो आज अब तक मूर्ति उपासना के आदि हैं ऐसे वस्तुएं खाता हैं और सोचते हैं जैसे मानो वह वस्तुएं मूर्ति का प्रसाद हो |


मतलब मेरे दोस्तों जब आप प्रसाद स्वीकार करते हो या फिर लेते हो तो जो देने वाला है वो ये समझना है की आप उनके विचार से सहमत हो की वो खुदा जिसका प्रसाद दिया जा रहा है वो अस्तित्व में है उसका आशीर्वाद है | और ऐसे ज्ञान वाले क्रिश्चियन भाइयों को एक चेतावनी पौलुस देते हैं वचन 9 से लेकर 11


9 सावधान रहो, कहीं तुम्हारा यह अधिकार उनके लिए जो दुर्बल है आपने गिरने का करण ना बन जाए क्योंकि दुर्बल मन का कोई व्यक्ति यदि टूट जैसे इस विषय के जानकर को मूर्ति वाले मंदिर में खाता हुए देखा है तो उसका दुर्बल मन क्या उसे हद तक नहीं भटक जाएगा की वो मूर्ति पर बाली चढ़ाई गई वस्तुओं को खाने लगे और तेरे ज्ञान से दुर्बल मन के व्यक्ति का तो नाश ही हो जाएगा, तेरे इस बंदू का जिसके लिए  यीशु  जान दी थी | 


तो भाइयों अगर आपको इसका ज्ञान है तो बहुत ही सावधान रहिए | क्योंकि आप बोलेंगे की कोई खुदा नहीं और आप प्रसाद लेंगे खाएंगे लेकिन आपको देखने वाले दूसरे व्यक्ति आपके कमजोर क्रिश्चियन भाई यह सोच लेंगे की अच्छा यह का रहे हैं तो मैं भी खाऊंगा, अच्छा तो कृष्णा भी भगवान है कृष्णा भी सृष्टि करता है, आप देखिए उनके उद्धार का और यीशु मसीह के सूली का मतलब आप पुरी तरह बिगाड़ रहे हैं | 


तो क्या हमें प्रसाद खाना चाहिए? 

जब हमारे पास कोई मुस्कुराते हुए लाकर देता है तो हमें क्या करना चाहिए?

कुछ लोग कहते हैं आप उसे ले लो उनके जान के बाद किसी और को दे दो या फेक दो?

मेरे हिसाब से यह बिल्कुल गलत है क्योंकि आप जी व्यक्ति से ले रहे हो उनके जान के बाद फेक कर आप उनको धोखा दे रहे हो | अगर आप मुझे पूछोगे तो मैं क्या करता हूं मैं स्माइल कर कर उनको बोलना हूं देखो भाई जैसे कुछ लोग मास नहीं खाता नॉनवेज नहीं खाता ना उनके धर्म के हिसाब से वैसे बाइबिल के अनुसार जो है हम लोग प्रसाद नहीं खाता हैं तो प्लीज आप बड़ा मत मानिए मैं नहीं ले सकता |

ऐसा खाने से आपने दो बातें बता दी

पहले जैसे वो लोग मांस को नॉनवेज को इनकार करके बुरे नहीं बन गए वैसे प्रसाद को इनकार करने से मैं बुरा नहीं बन रहा हूं | दूसरा मैं बाइबल को मानता हूं और उसके अनुसार मैं नहीं का सकता | तो क्या हम एक खाना चाहिए या नहीं खाना चाहिए? अगर आप खाता हैं तो आप दो बातों को मानते हैं, की यीशु के अलावा दूसरे भगवान देवी देवता भी अस्तित्व में है, और दूसरा आप यह भी स्वीकारते हैं की कृष्णा का कृपा आपको मुक्ति देता है, या फिर दूसरे भगवानों का कृपा भी आपको चाहिए | तो आपको निर्णय लेना है | यदि आपका कोई हिंदू दोस्त आपसे पूछता है की क्यों नहीं खाता हो? तो उनका थोड़ा समय लीजिए उनको यीशु मसीह के बारे में बताइए अच्छा मौका है समाचार सुनाइए और प्रभु उनके आंखों को खुलेगा | आशा करता हूं आपकी यह सवाल का जवाब आपको मिल गया होगा सच्चाई को जानिए और सच्चाई पर चलिए प्रभु आपको आशीष करें |

 



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