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26450 BC Kalpa Vigraha - Oldest hindu Idol of Lord Shiva Vishnu

 “Kalpa Vigraha”: All you need to know about the oldest Hindu Idol of Lord Shiva



कल्प विग्रह | लोगों का दावा है की कल्प विग्रह उनके भगवान विष्णु के मूर्ति है | क्योंकि जो चक्र की तरह जो गोल आकृति इस मूर्ति के हाथ में दिखे रही है वह सुदर्शन चक्र है जो कृष्णा का सबसे प्रमुख अस्त्र है | वैसे ही कुछ और लोग कहते हैं की ये उनके भगवान शिवा की मूर्ति है, और ये कहते हैं की कुछ पुराणों में यह लिखा है की जब विष्णु प्रिजर्व दिक्कत हुई तब उन्होंने शिवा की आराधना करके सुदर्शन चक्र उनसे प्राप्त की थी | कहानी जो भी हो, वह सब गप है ख्याली पुलाव है ज्यादा सोचने की ज़रुरत नहीं | लेकिन जो अल मुद्दा है वो है यह मूर्ति जिसको 28000 साल पुराना कहा गया है |अगर सच में यह मूर्ति उनके भगवान शिवा की है तो यह साबित हो जाएगा की हिंदू धर्म सबसे पुराना हैवेद पुराण सभी सही इतिहास है और यह सभी को मानना पड़ेगा |

चलिए पहले इनकी कहानी सुनते हैं | लोगों का कहना है की 1959-60 के बीच जब चीन ने तिब्बत पर हमला किया तब वहां का एक बुद्धिस्ट मोंक ने इस मूर्ति को बचाने के लिए CIA जो अमेरिका का एक डिफेंस सेक्टर का एक भाग है, जो उसे वक्त तिब्बत में अपना ऑपरेशन कर रहा था जिसकोमस्टैंग” ऑपरेशन कहा जाता है उनको दे दिया | वो इस मूर्ति को लेक अमेरिका वापस लोट आए | और CIA ने इसे छुपा के रखा था | और जब CIA से लेकUniversity of California Laboratory- Berkeley, में इसकी जांच की गई तब यह पता चला की यह मूर्ति 28000 साल पुराना है, जो मोहनजो डरो- सिंधु घाटीइजिप्ट- मेसोपोटामिया- अल्फा के सभ्यता से भी कई गुना पुरानी है | और इसी से साबित होता है की हमारा हिंदू धर्म सबसे पुराना है, बाकी सब तो बच्चे विदेशी हैं और इसके पक्ष में कई सारे आर्टिकल्स लिखे गए हैं एक और झूठ वायरल करने की कोशिश की गई है | और कुछ हद तक कामयाब हुए थे | इसलिए आप इसके चर्चा कही न कही, कभी ना कभी सुन होंगे | तो चलिए इसका भी फैक्ट चेकिंग कर लेते हैं |

1st Point - इस पॉइंट मैं दो पक्ष को रखूंगा हिंदुओं का और बुद्धिस्टों का | जब मैंने इस पर थोड़ा रिसर्च किया तो मैंने दोनों पक्ष के जवाब सुने  | हिंदू तो कहते हैं की यह हमारा शिवा भगवान है यह विष्णु भगवान है. लेकिन दूसरा पक्ष जो बुद्धिस्टों का है वो कहते हैं की यह मूर्ति हमारा है हमारे बुद्ध का है |

क्योंकि यह कहां मिली? तिब्बत में. जो की बुद्धिस्ट देश है

यह मूर्ति किसके पास मिली? एक बुद्धिस्ट मोंक

इस मूर्ति में जो चक्र के आकृति है वह हमारा धम्म चक्र है

जो सर्प की आकृति दिख रही है वह नाग है क्योंकि बुद्ध नागवंशी थे

तो यह मूर्ति हिंदू भगवान शिवा का कैसे हो सकता है? कहीं पर भी उसे मोंक ने कहा है की यह शिवा की मूर्ति है? नहीं वो जो बॉक्स उसे मोंक ने दिया वहां कहानी पर लिखा है की यह शिवा है? नहीं . और जो मनुस्क्रिप्ट की बात की गई है वहां लिखा है

कल्प महाआयुष्मान रसायन विग्रह”

क्या ये शिवा या विष्णु का नाम है? आपने कभी भी कहीं पर भी यह नाम सुना शिवा या विष्णु के लिए इस्तेमाल?

2nd Point- यह है एक ट्विटर पोस्ट एक फेसबुक पोस्ट जिसको नमो पर बैंगलोर ने किया था 2022 में KK Muhammed के 2020 के पोस्ट को टैग करके |


KK Mohhamed कौन हैं? KK Mohammed एक इंडियन आर्कियोलॉजिस्ट हैं जो ASI आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के नॉर्थ रीजन के रीजनल डायरेक्टर के पोस्ट पे कम कर चुके हैं | और बाबरी मस्जिद के खुदाई में बीबी लाल के अंदर में भी कम कर चुके हैं | और 2019 में इन्हें अपने केमो के लिए पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया है | तो इन्होंने 2020 में यह पोस्ट शेर किया था | यहां पे इन्होंने कहा की कल्पविग्रह मिला 28000 साल पुराना है शिवा की मूर्ति है ये द्वापर युग का है इजिप्ट ग्रीस मेसोपोटामिया या मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता से भी पुरानी है |

लेकिन जब आप फैक्ट चेक करने ट्विटर पर पहुंच जाएंगे आपको कुछ नहीं मिलेगा नील बत्ती सन्नाटा | यह पोस्ट सिर्फ आपको फेसबुक व्हाट्सएप युटुब या किसी आर्टिकल्स पर ही मिलेंगे | जबकि जी प्लेटफॉर्म ट्विटर पर KK Mohammed ने पोस्ट किया था वहां कुछ नहीं मिलेगा | और जब मैंने का KK Mohammed को सर्च किया सिर्फ एक ही पोस्ट आया जो दर्पण फाउंडेशन ने 2020 में किया था इसके अलावा कुछ नहीं | अब सोचिए इतनी बड़ी खोज मानव इतिहास को बदलने वाले खोज गायब? आज तक हमें पढ़ाया जाता है की मानव जाति 11000 साल से धातुओं का इस्तेमाल करना शिखा वो है कॉपर | और ये कॉपर भी पूरे फॉर्म में नहीं शुद्ध नहीं था | इसके साथ दूसरे पदार्थ भी जुड़े थे जिसको मानव उसे समय अलग नहीं कर सका, क्योंकि उसको इतना ज्ञान नहीं था जिसका डेट है 9000 BCE |और ये भी मिला कहां इराक में, तो तिब्बत में अगर एक ऐसा मूर्ति मिला जिसका डेट है 26000 और ये मिला 1960 के करीब तब तक दुनिया को अपना इतिहास बादल देना चाहिए था | क्यों आज तक इस मूर्ति के मिलने के बाद भी कहानी पर भी इसकी चर्चा नहीं हुई | दुनिया के किसी भी किताब में यह नहीं लिखा गया की मानव जाति ने 28000 साल पहले धातुओं को आकार देना सिख चुका था और वो उसका इस्तेमाल मूर्ति बर्तन जैसे चीजों को बनाने के लिए इस्तेमाल करता था लेकिन किसी भी किताब या रिसर्च में नहीं लिखा चलिए दुनिया को छोड़िए वो तो हमसे जलते हैं ना | लेकिन भारत सरकार ऐसी खबर ऐसी मूर्ति जो हिंदू धर्म से जुड़ी है इसके बड़े में कुछ नहीं कहा कुछ नहीं लिखा बड़ी ही आश्चर्य के बात है? जवाब साफ है की ये एक फेक न्यूज़ है जो उनकी आदत है करना अपने धर्म को ऊंचा दिखाने के लिए | 

इससे बचाने के लिए उन्होंने एक और कहानी गढ़ दी की यह सब करने के बाद किसी ने CIA से मूर्ति चुरा के इंडिया के किस आईटी सेक्टर में कम करने वाले एक आदमी के पास छुपा दिया जो की हैदराबाद में है | देखा दोस्तों इनकी कहानी | चलो अमेरिका में था हम लाचार थे, लेकिन अब तो इंडिया में है फिर भी एक न्यूज़ नहीं एक किताब नहीं एक रिसर्च नहीं | जितने भी सो कॉल्ड डिटेक्टिव ब्योमकेश मिलेंगे उनकी जासूसी सिर्फ ऑनलाइन आर्टिकल पर युटुब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ही दिखेंगे | क्या आपने यह सोचा की अगर ऐसा कोई चीज सच में होता तो यह लोग इसका कितनी आडम्बर से प्रचार करते, ढोल गड़े बजाकर एक मंदिर तक बना चुके होते लेकिन असलियत में कुछ नहीं फूस है या दवा |

3rd Point – KK Muhammed कोई आम व्यक्ति नहीं है जो ₹2 ₹2 के लिए ट्वीट करें | दुनिया के इतिहास को बदलने वाले पोस्ट किया थे लेकिन CIA के ऑफिशल अकाउंट को या University of Berkeley जहां पर यह कार्बन डेटिंग हुई यह इंडिया के किसी भी ऑफिशल सेक्टर को टैग क्यों नहीं किया?

आप गूगल में सर्च कीजिए कल्प विग्रह आपको बहुत सारे आर्टिकल्स फेसबुक ट्विटर अकाउंट्स युटुब वीडियो युटुब शॉट मिलेंगे जिसको हिंदू ही चलते हैं वह सब रट्टू तोता की तरह एक ही रता मारता है देखेंगे लेकिन एक भी ऑफिशल वेबसाइट किसी भी देश का नहीं मिलेगा ना भारत का ना तिब्बत का और ना ही अमेरिका का | चलिए तिब्बत और अमेरिका किसी वजह से छुपाती है लेकिन भारत की सरकार ASI यहां इतने बड़े-बड़े साइंटिफिक संस्थाओं हैं कोई बात क्यों नहीं करता यह आपको कुछ अजीब नहीं लगता?

4th Point - क्योंकि वह मूर्ति मेटल की है सोनी चांदी के नहीं मेटल तो हमें मेटालर्ग के इतिहास को देखना पड़ेगा की कब से मेटल मिलन शुरू हुआ कब से हम मेटल का इस्तेमाल करना सीखें वगैरा | तो जैसे मैंने कुछ देर पहले कहा था की हमें कॉपर मिला कुछ 10-11 साल पहले यानी 9000BCE


और तब से हम उसको किसी भी चीज में ढलना सीखे | हम उसे वक्त उसका एक्सपर्ट नहीं बने थे | लेकिन इनका दवा क्या है? की 28000 साल पहले किसी ने मूर्ति बना दिया, कैसे भाई? एक सवाल पूछिए जब मानव 28000 साल पहले मूर्ति बनाना सिख चुका था मेटालर्जी सिख चुका था लेकिन 10-11000 साल आते-आते वो सब भूल गया फिर से शुरू से सीखने लगा धातु का इस्तेमाल और वह भी कॉपर से? थोड़ा दिमाग तो लगाइए दोस्तों | सोचिए आज इंसान मोबाइल बना सकता है क्या 2050 या 23वीं सदी या 24वीं सदी आते-आते मोबाइल बनाना भूल जाएगा? वह उससे एडवांस चीज बनाएगी ना की फिर से शुरू करेगा | यह बेवकूफना है | यह तो वही लोग हुआ की लोग कहते हैं की हजारों साल पहले वेदों में रामायण में विज्ञान था एडवांस टेक्नोलॉजी थी हमने एरोप्लेन तक उड़ा दिया था हमने सर्जरी कर दी थी यह किया वह किया सब किया | लेकिन जब हम असली दुनिया को देखते हैं यही सभी चीज पहले बार कोई बाहर का आदमी बनाकर चला जाता है | सोचिए दोस्तों सोचिए

5th Point - ये है वो dates


 जब मेटल की खोज हुई और उसका इस्तेमाल करना शुरू हुआ |

फर्स्ट है 9000BC से Wrought Native Copper यह मिला है मिडिल ईस्ट में |

दूसरा है 5000 से 3000 इसको Chalcolothic Period भी कहा जाता है जहां इस नेचुरल या मिलावटी कॉपर को पूरे करना सीखें मानव सभ्यता ने इसका सबूत भी मिला है मिडिल ईस्ट में

तीसरा है 2050BC ग्रेन्यूलेशन ऑफ गोल्ड किसी भी साइंटिस्ट से या किसी भी साइंटिफिक किताब से यह वेबसाइट से खुद कंफर्म कर सकते हैं और किसी ने दुनिया के किसी भी साइंटिस्ट ने या साइंस के किताब में नहीं कहा की मानव जाति कोई भी मूर्ति बना सकता था 28000 साल पहले?

6th Point-  


ये नहीं की भारत में कोई भी सबूत नहीं मिला भारत के पुराने लोग या मूल्य वीडियो को मी राज्य के बड़े में पता था हम भी धातुओं से चीज बनाते थे हमने भी बहुत सारे कम किया थे पूरे इंडियन कॉन्टिनेंट में जो सबसे पुराना सबूत मिला उसका डेट है 6000 यानी कुछ 8000 साल पहले और वो भी कहां बलूचिस्तान के मेहरगढ़ में | एक छोटा सा Copper Bead मिला और वो भी Pure फॉर्म में नहीं इसके साथ और जुड़ा हुआ था | यानी यहां के लोग 6000 तक कॉपर के पूरे फॉर्म को इस्तेमाल करना नहीं जानते थे 6000BC के बाद में धीरे-धीरे लोग जानने लगे |

Conclusion - तो यह बात की 28000 साल पहले किसी ने एक मूर्ति बना दिया यह सरासर झूठ है फेक न्यूज़ है व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी का एक और चैप्टर है, जिसको हमने आज फूल स्टॉप लगा दिया |



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