Adam's Bridge- Is Ram Setu Bridge Man made or Natural?
Adam's Bridge- Is Ram Setu Bridge Man made or Natural?
दशकों पहले दुनिया में रहने वाले कुछ मसीही विरोधियों ने यह कहना शुरू कर दिया कि यीशु मसीह का कोई अस्तित्व नहीं था | लेकिन जब उनके ही Scholars जो लोग यीशु मसीह को नहीं मानते यानी Skeptic और Atheist Scholars | उन लोगों ने यह साफ कह दिया कि, जो यह कहता है कि यीशु मसीह नाम का व्यक्ति कोई था ही नहीं, वह अपने आप को दुनिया के सामने यह कह रहा है कि मैं "मूर्ख" हूं | उसके बाद जो लोग यह कहते थे वह इस बात को कहना बंद कर दिए | क्योंकि वह लोग भी पढ़े लिखे थे और वह इतिहास को ठुकरा नहीं सकते थे|
लेकिन भारत में आज भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो इन लोगों के सालों पुराने लाइन को आज तक विश्वास करके फैला रहे हैं | क्योंकि आप और हम जानते हैं भारत में कई लोगों के पास यह सुविधा नहीं है कि वह ऐतिहासिक सबूतों को जाने | और इसी बात का फायदा कुछ कट्टर लोग उठाते हैं | उन्हें मसीह के खिलाफ भड़काने के लिए | और इसी बात की चिंता करके हमने यह तीन वीडियो (Click Her to Watch) का सीरीज भी कह सकते हैं यह बनाया था | और उन लोगों को दिखाया था कि इतिहास चीख चीख कर कह रहा है, कि यीशु मसीह नाम का व्यक्ति 2000 साल पहले था | और जैसे मसीही विरोधी यीशु के अस्तित्व पर सवाल उठाते हैं | हमने भी कुछ सवाल उठाए जिनका रिस्पांस में आज तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला जो यह साबित करें कि हां हिंदू धर्म के भगवान राम सचमुच लाखों साल पहले त्रेतायुग में रहते थे | या कृष्णा सचमुच 5 या 6000 साल पहले द्वारका में रहते थे | जो हमें रिस्पांस मिला वह कुछ इस तरह होता है | क्या आपने अयोध्या द्वारका नहीं देखा आज भी भारत में है? तो तुम कैसे इंकार कर रहे हो कि हमारे भगवान राम या कृष्ण कभी थे ही नहीं? क्या तुमने रामसेतु नहीं देखा जो इंडिया और श्रीलंका के बीच में है? क्या तुम इतना बड़ा और लंबा Bridge (ram setu bridge) नहीं देख पा रहे हो? क्या तुम अंधे हो?
जवाब सुनकर तो मेरे मुंह से एक शब्द नहीं निकलता, क्योंकि जरा सोचिए मेरे दोस्तों | ये कह रहे हैं कि अयोध्या है इसलिए हमारे भगवान राम थे | लेकिन दूसरी तरफ यह स्वीकार नहीं कर रहे हैं Bethlehem आज भी इसराइल में हैं लेकिन येशु मसीह नहीं थे? यह तो Biased Argument हो गया | लेकिन यह लोग इस बात को भी नहीं समझते हैं इसलिए उनके इस argument के सामने में कुछ नहीं कह पाता | लेकिन वह दूसरा Argument रामसेतु असल में Adams Bridge है, इसके बारे में देखना जरूरी है | तो चलिए इस argument के सभी और सबूतों के साथ देखते हैं | क्या ये Bridge (ram setu bridge) या पर्वत श्रृंखला जो Coral Reef से बनी है रामसेतु है?
Article का मकसद किसीके धार्मिक भावनाओ को आहात करना नहीं है | हम सिर्फ सबूतों के आधार पर ही Analysis और फैसला करेंगे | बड़ी दुख की बात है हमें यह भी एक आज़ाद और Democratic देश में कहना पड़ रहा है |
क्यूंकि ये एक धार्मिक व्यक्ति से जुड़ा है इसलिए सबसे पहले धार्मिक किताबों से इस सेतु के बारे में देखेंगे | चलिए पढ़ते है Valmiki Ramayana | हिंदुओं के हिसाब से Valmiki Ramayana सबसे पुरानी और सही रामायण है | रामायण का हिंदी ट्रांसलेट किया है चतुर्वेदी द्वारका प्रसाद शर्मा ने 1927 में |
1st Point. रामसेतु के बारे में युद्ध कांड में लिखा गया है | इसमें यह कहा गया है कि राम अपनी पत्नी सीता को रावण के चंगुल से बचाने के लिए समुद्र के किनारे पहुंचे | वहां उन्होंने 3 दिन तक समुद्र से, या समुद्र देवता से विनती की कि उन्हें लंका जाने का मार्ग दे | लेकिन 3 दिन तक कोई response नहीं आने के कारण राम को क्रोध आया और वह समुद्र को सुखाने के लिए अपना तीर निकाले | लेकिन तुरंत समुद्र देवता आए और उनसे कहा कि आप समुद्र के ऊपर एक पुल बांधे और उसमें चलके दूसरी पार जाए |”यह कहानी तो आपने टीवी में देखि और सुनी होंगी | चलिए वाल्मीकि रामायण में देख लेते हैं क्या लिखा है इस पुल के बारे में | वाल्मीकि रामायण युद्ध कांड 22 sarga Sloka 71 |
इस लोक में लिखा है कि वानरों ने पांचवें दिन 23 योजना लंबा पुल बांधा और वही पांचवे दिन पुल बांधने का काम पूरा हुआ | और आपको पता है कि पूरे पुल की लंबाई कितनी हुई जिसको उन वानरों ने 5 दिन तक बनाएं? 100 योजन लंबा और 10 योजन चौड़ा | यह देखिए यह लिखा है उन शीघ्र कर्मचारी वानरों ने पांचवें दिन 23 योजन लंबा और पुल बांध लड्डू स्थित सुमेल पर्वत पर पहुंच गए अर्थात पुल का काम नल ने पांचवे दिन पूरा कर डाला |
और आगे श्लोक 75 में इस पुल की कुल लंबाई लिखी गई है | पढ़ते हैं 74 और 75 श्लोको को | तब तो देवता सिद्ध और महर्षि लोग उस अद्भुत पुल की रचना देखने को आकाश में आ खड़े हुए |
sloka 75 देवताओं और गंधर्व नल का बनाया हुआ अत्यंत दुष्कर 100 योजन लंबा और 10 योजन चौड़ा पुल देखा |
अब चलिए मानते है की 1 योजन होता है 6 मील
यानि 9.66KM | अब हम इसको Multiply करेंगे 100 योजन से
| तोह कितना होता है-
966KM लम्बाई और 96.6KM चौड़ा | क्या यह संभव है? क्या आपने कभी 96 किलोमीटर का चौड़ा पुल कहीं देखा या सुना है |
अब चलिए 1 योजन को 9 Mile लेते हैं यानी 14.48 किलोमीटर | तो 100 योजन मल्टिप्लाई 14.48 किलोमीटर होता है 1448 किलोमीटर लंबाई और चौड़ाई है 10 योजन मल्टिप्लाई करते हैं को 10.48 किलोमीटर से 144.8 किलोमीटर |
अब चलिए 1 योजन को 8 Mile यानि 12.8 KM मानते हैं | तो 12. 8 किलोमीटर मल्टीप्लस 100 योजन होता है 1280 किलोमीटर लंबाई और चौड़ाई 12.8 x 10 होता है 128 किलोमीटर चौड़ा | तो हमारे पास अलग-अलग लंबाई और चौड़ाई है रामसेतु का वाल्मीकि रामायण के अनुसार |
आप खुद सोचिये दोस्तोः इतना बड़ा पुल आपने
खुद कहीं पे देखा है? सबसे कम निकला 96.6KM चौड़ा। क्या आपने आधे किलोमीटर चौड़ा पुल
कहीं पार भी देखा है? लेकिन यहाँ वाल्मीकिजी 1000KM लम्बा और 100KM चौड़ा पुल बंधवा दिए। ऐसी चीज़े शायद आपने कहानियों में भी नहीं सुनी होंगी
| लेकिन कोई बात नहीं ये वाल्मीकि रामायण सिर्फ एक Mythology है और हम इसे ज़्यादा तवज्जु
न दे तोह बेहतर होगा | लेकिन आपकी खुशी के लिए हम 1 मिनट के लिए इन सब को मान लेते हैं |
3rd Point. अब देखते हैं India के रामेश्वरम और श्रीलंका के Talaimanar तक की दूरी कितनी है जिसके बीच में आप लोग कहते हैं कि यही है रामसेतु और नासा ने इमेजेस शेयर किया था | उसकी दूरी है सिर्फ 51 किलोमीटर | अगर कोई पुल आप बनाएंगे इसके बीच ज्यादा से ज्यादा 50 से 55 किलोमीटर लंबा होना चाहिए | चलिए आपकी खुशी के लिए मैं इसे डबल कर देता हूं 100 किलोमीटर | लेकिन आप बताइए वाल्मीकि रामायण में लिखा है कि यह लगभग 1000 किलोमीटर लंबा है | आप जिस भी आंकड़े को चुनोगे, 50 किलोमीटर से कहीं ज्यादा होता है | तो मेरा सवाल है की बाकी का पुल कहाँ गया? मुझे तोह लगता है की शायद इसे भी अंग्रेजों ने मुगलों ने लूट लिया होगा? और यह भी दावा शायद हम भविष्य में सुन सकते हैं | इतने बड़े देश में कुछ भी हो सकता है |
तो हमें देखा शायद बाल्मीकि जी ने जिसने भी वाल्मीकि रामायण को एक ऐसी कहानी की तरह रामायण लिख रहे थे आज के युग में एक्सपोज हो रही है और शायद इसका आभास उनको नहीं था | और जब मैं इसको पढ़ रहा था यह लग रहा था कि मैं एक अच्छी कहानी पढ़ रहा हूं | मैं कोई मजाक नहीं बना रहा हूं वह मैंने आपको बता दिया यह मेरा पर्सनल ओपिनियन है |
4th Point. अब देखते हैं NASA इसके बारे में क्या कहता हैं, क्योंकि हमारे दोस्त तोह NASA पर पूरा भरोसा करते हैं ना | तोह सबसे पहले में आपको NASA के सबूत आपको दिखाऊंगा फिर Indians क्योंकि हमारे जो दोस्त हैं वह सिर्फ अपनी जुबान से कहते हैं कि वह भारतीय हैं लेकिन हमेशा बाहर के अनुष्ठान NASA का गुणगान करते हैं और अपनी हर झूठी कहानी के लिए, जैसे हमने आपको OM साउंड के वीडियो में दिखाया था वह उनका सहारा लेते हैं | इसलिए उनके मन की संतुष्टि के लिए पहले नासा के स्टेटमेंट आपको दिखाएंगे | 2007 में जब हिंदुओं ने यह फैलाना चाहा कि यह पर्वत श्रृंखला असल में रामसेतु है और इसकी पुष्टि NASA ने ही की है उसकी तस्वीर और इस सेतु को जांचने के बाद | उसी समय नासा ने हिंदुओं के दावों को खारिज कर दिया | और कहा कि हमने ऐसा कुछ नहीं कहा | हमने वहां कोई जांच नहीं किया | यह हिंदू झूठ बोल रहे हैं | उन्होंने कहा कि हमने जो तस्वीरें इंटरनेट पर मौजूद है उनमें से कुछ भी हो सकती है | रामसेतु है या उसका रेडियो कार्बन डेटिंग कितना साल पुराना है वह हमने कभी नहीं कहा | क्योंकि नासा ने कहा कि वह उनकी टीम वहां नहीं गया रिसर्च करने के लिए | और जब हमने सर्च किया ही नहीं तो हम तारीख कहां से देंगे? हमने सेटेलाइट से बस कुछ तस्वीरें लिए | Matlab बाहर के लोग जान गए कि यह लोग झूठ बोलने में माहिर है और वैज्ञानिक सामने आए जिनका नाम है Mark Hess | जो Nasa के communication department के chief हैं और नासा ने जो तस्वीरें लिए इनके अंदर हुआ था | उस वक्त इन्होने कहा कि जो पर्वत श्रृंखला आपको हमारी तस्वीरों में दिखाई दे रहे हैं वह सिर्फ 30 किलोमीटर लंबा है | तो यह रहा NASA का ऑफिशल स्टेटमेंट |5th Point. अब देखते हैं भारत के वैज्ञानिक इस पर्वत श्रृंखला के बारे में क्या कहते हैं | आखिर में भी एक भारतीय हूं और मैं उम्मीद करता हूं कि आप लोग अपने देश के वैज्ञानिकों को झूठा नहीं कहेंगे | यह नहीं कहेंगे की इनको भी हमने दो बोरी चावल देके झूट कहने पार मजबूर किया
तो Geological Survey of India SAC(Space Application Service) जो ISRO- इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन का एक भाग है | ये दोनों एजेंसियों ने रामेश्वरम और उस पर्वत श्रृंखला में जाकर उसमें खुदाई खुदाई करके बहुत अच्छी तरह जांचने के बाद बहुत कुछ कहा मैं उनमें से चार महत्वपूर्ण पॉइंट आपके सामने रख रहा हूं पहला रामेश्वरम आइलैंड मॉल हुआ 125000 साल पहले इसका मतलब राम 1700000 साल पहले कहां और कैसे वहां पहुंच गए दूसरा इस अध्ययन में धनुष्कोड़ी और चले मनर के बीच नमूनों के रेडियो कार्बन डेटिंग से पता चलता है कि रामेश्वरम के धनुष्कोड़ी और ताले मुन्ना श्रीलंका की तरफ से है उसके बीच का श्रृंखला सिर्फ 7 से 18000 साल पहले पानी में डूबने शुरू हुआ और जो Sand Dune मतलब रेत है इस पर्वत के साइड में, वह सिर्फ 500 से 600 साल पहले ही बनना शुरू हुआ |
एक सवाल यह उठ सकता है कि 7 से 18000 साल पहले डूब गया का क्या मतलब? GSI के वैज्ञानिकों ने कहा कि उस समय Glaciers का बर्फ बहुत था और इसी वजह से समुद्र का पानी का लेवल बहुत कम था लगभग 60 से 120 मीटर कम | लेकिन जैसे-जैसे ग्लेशियर पिघल रहा है वैसे-वैसे पानी बढ़ रहा है और आज वह सारे रास्ते भरे जमीन पाने के अंदर है |
6th Point. यह कोई पत्थरों से बना हुआ पुल नहीं है जिसको वानरों ने उसके आसपास के पहाड़ से उखाड़ के लाए थे | ISRO के SAC टीम ने कहा कि यह बना है 103 छोटे-छोटे CORAL REEF से | Coral Reef क्या होता है? यह एक समुद्री जीव है जो दुनिया में हर समुद्र के नीचे पाया जाता है और यह लाइन उसी से बना है जब समुद्र में Tide यानि जुआर होता है | जब Low Tide या high Tide हुआ तब यह सब ऐसे लाइन में बन गया | इंडिया और श्रीलंका पहले से जुड़े हुए थे और आज भी जुड़े हुए हैं | बस आज यह हुआ कि ग्लेशियर से बर्फ पिघलने से पानी का स्तर बढ़ा और यह हिस्सा डूब गया और समुद्र में हाई और लो टाइड की वजह से एक Coral Reef का लाइन बन गया | ISRO के SAC डिपार्टमेंट ने कहा कि इसमें किसी इंसान का हाथ नहीं है |
7th Point. वैज्ञानिकों ने इसको इसको टेस्ट किया और उन्होंने कहा कि यह सिर्फ 4020 साल प्लसर 22160 यानी 4180 या 3160 साल पहले ही बनना शुरू हुआ यानी सिर्फ 2020 से पहले क्योंकि अगर यह पुण्य उसे यहां पर होता जो 1700000 साल पहले हुआ था तो कोर्ट से जमा होते हैं और इसका एक सिर्फ 4000 साल पुराना होकर उससे भी ज्यादा होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है और इन सब जांच के बाद एएसआई ने भी कह दिया कि हमें कोई भी ऐसा टेंशन नहीं मिला कि इसको किसी इंसान ने बनाया हो अब देखते हैं एक बोनस प्वाइंट 4 महीने पहले भाई ने हमें यह सवाल पूछा कि तुम मुझे वह पत्थर का नाम बताओ जो पानी में तैरती हो उसका नाम और वह कहां मिलता है और जब तुम खुद उसका जवाब जान जाओगे तो तुम रामसेतु कॉल नहीं उठा पाओगे हमने उन्हें सारे सवालों के जवाब दे दिए फिर उनकी तरफ से कोई रिप्लाई नहीं आया यह आप अभी कमेंट में देख सकते हैं लेकिन शायद वह इसे आगे डिलीट कर दें इस वीडियो को देखने के बाद और आप लोगों को जानकारी के लिए बता दूं इस नाम का एक पत्थर है जो पानी में तैरता है और यह दुनिया के कई जगह पर पाया जाता है |
तोह ये रहा उस पर्वत श्रृंखला का रेडियो कार्बन डेटिंग | 125000 साल पहले यह जगह बना | सिर्फ 7 से 18000 साल पहले यह जगह उजागर होगा क्योंकि उस वक्त समुद्र का लेवल कई मीटर कम था | और जब जलस्तर बढ़ा 7 से 18000 साल पहले फिर धीरे-धीरे उसमें Coral Reef हुआ और उसका तारीख है 4 हजार साल | और 500 से 600 साल पहले उसके चारों और Sand Dune जमा होना शुरू हुआ | तो राम जो त्रेता युग में रहते थे करीब 17 साल पहले, वह कैसे और कहां से 30 किलोमीटर लंबा पुल बना दिए? कहां है वह पत्थर वाला 1000KM लंबा और 100KM चौड़ा पुल?
तो भारत के वैज्ञानिकों ने भी इस झूठी अफवाह को तथ्य के साथ खारिज कर दिया, कि ये त्रेता युग में बना कोई पुल नहीं है | यह प्रकृति द्वारा बनाया गया है और जो हम पूर्ण रुप देख रहे हैं जो एक लाइन में है वह समुद्र के जुआर के कारण बनी है और वह सिर्फ 4000 साल पुराना है |
8th Point. लोग कहते हैं कि इस तरह का क्षेत्र सिर्फ हमारे भारत में है इसलिए यह रामसेतु है | मुझे यकीन है कि इन लोगों को पृथ्वी का भूगोल नहीं पता होगा | दुनिया में ऐसे कई जगह है जो सही इसी तरह का Coral Reef है | सबसे बड़ा Example है JAPAN | आप सभी को पता है जापान सिर्फ एक Island नहीं है | Japan कई island का समूह है | कई Island को लेकर बना है एक देश | लेकिन आज पानी का स्तर बढ़ने के कारण कई जगह डूब चुका है और हमें लगता है कि यह अलग-अलग आईलैंड है |
यह एक और Example है North Korea और China के बीच | इसी तरह के कई देश है जो अभी पानी के नीचे है | आप यूरोप देख सकते हैं | तो यह कहना कि यह सिर्फ भारत में है यह सिर्फ आपकी गलतफहमी है |
तो दोस्तों हमने देखा Adams bridge की पूरी सच्चाई कि क्यों पढ़े लिखे लोग इसे Adam's Bridge कहते हैं ना कि रामसेतु | और NASA, ASI, GSI, SAC, ISRO ने कह दिया कि यह कोई रामसेतु नहीं है या इसको किसी इंसान ने नहीं बनाया | यह सिर्फ एक Coral Reef का जमावड़ा है.
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