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Was Pythagoras theorem invented in India? Indian Know before Greeks

Was Pythagoras theorem invented in India? Indian Know before Greeks 

जय मसीह की दोस्तों | इस Article में हमने एक फर्जी वैदिक मैथमेटिक्स के किताब की सच्चाई देखी थी जिसको इस परपस से लिखा गया था ताकि हिंदू धर्म और वेदों की धूमधाम से मार्केटिंग किया जा सके और दुनिया को यह बता सके कि देखो भाई जितना भी ज्ञान विज्ञान गणित आधुनिकता थे प्राचीन दुनिया में वह सब हमारे वेदों में हैं | और हम हिंदू यानी वैदिक सभ्यता दुनिया में सबसे पहले सभ्यता और सबसे एडवांस्ड सभ्यता थी | जहां एरोप्लेन उड़ते थे, सर्जरी हुआ करती थी मैल से- खीर खाके बच्चे पैदा हुआ करते थे | लेकिन जब आप उन सभी चीजों का एक सबूत मांग लो तो उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता | बस एक ही चीज को आगे दिखाएंगे, वह है उनके धार्मिक ग्रंथ | इसके अलावा उनके पास एक फूटी कौड़ी का सबूत नहीं मिलता | देखें आपके धर्म में चमत्कार लिखे हैं जो भी कहीं भी वैदिक काल अगर था, वहां चमत्कार हुआ करते थे, ईश्वर या देवताओं के द्वारा, तो कोई कुछ नहीं कहता | भगवान है ईश्वर हैं उनके पास शक्तियां हैं, वह चमत्कार कर सकते हैं | लेकिन जब आप इन्हीं चमत्कारों को विज्ञान आधुनिक सभ्यता कहके दुनिया के बाकी सभ्यताओं को नीचा दिखाएंगे, तब हर कोई इसके पीछे के सच को जानने की कोशिश करेगा और जब जानेंगे तो वह दुनिया के लिए सबूत खोदकर सच्चाई दिखाएंगे|

 




इसकी शुरुआत होती है साल 2015 में 102 एडिशन ऑफ इंडियन साइंस कांग्रेस का फंक्शन हो रहा था मुंबई में | वहां पर डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा, कि Pythagoras Theorem की खोज एक इंडियन ने की है और इसका श्रेय ले गए हैं ग्रीक वाले | फंक्शन के बाद इस स्टेटमेंट को डॉक्टर सशि थरूर  ने भी सपोर्ट किया कि Ancient India में भी भारतीयों को मैथमेटिक्स के बारे में नॉलेज था | लेकिन अंधभक्त क्या सोचते हैं इन स्टेटमेंट्स को सुनके कि भारतीयों के पास ही सारा ज्ञान था | बाकी किसके पास ज्ञान नहीं था। दुनिया भर के लोग मूर्ख गवार और भेड़ चराने वाले थे | और जब इतने बड़े विद्वान नेता है कह चुके हैं तो इसका मतलब यह हुआ कि यह पाइथागोरस थ्योरम को इंडियंस ने बनाया है और अंग्रेजों के समय में भारत के सभी खोज सभी आविष्कारों को विदेशियों ने अपने नाम करवा दिए | तो चलिए देखते हैं कि जो डॉक्टर हर्षवर्धन ने कहा और अंधभक्त कहते हैं इसमें कितनी सच्चाई है |

 यह प्रोफेसर मंजुल भार्गवा | प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में मैथमेटिक्स के प्रोफेसर हैं | इन्होंने इस क्लेम को अच्छी तरह डिफाइन करके इसका उत्तर दिया है |



1. यह कहते हैं कि पाइथागोरस थ्योरम को पहली बार अगर किसी ने इस्तेमाल किया है तो वह है इजिप्ट की सभ्यता वह भी कुछ 2500 BC यानी 4500 साल पहले | हम देख सकते हैं पिरामिड्स का शेप, एक ट्रायंगल की तरह है | पिरामिड्स को बनाने के लिए Pythagoras Triplets का इस्तेमाल हुआ है | तो क्या यह लोग इतने बड़े-बड़े मकबरा बिना किसी मैथ्स की जानकारी से बना सकते थे? बिल्कुल नहीं | हां यह कह सकते हो कि वह टर्म, Pythagoras-Algebra इसकी जानकारी नहीं होगी क्योंकि obviously यह टर्म आधुनिक सभ्यता ने दी है | लेकिन हां उन्होंने मैथ्स का सहारा लेकर ही इतने बड़े-बड़े पिरामिड का निर्माण किया है | यह भी कह सकते हो कि वह बिना जाने कि यह एक फार्मूला बनने वाला है भविष्य में इस फार्मूला को अपने निर्माण में इस्तेमाल करते थे | लेकिन इस सभ्यता ने इसे ट्रायंगल के साथ नहीं जुड़ा था |

(a)एक और सबूत जो मिलता है उसका नाम है बर्लिन पपाइरस | बर्लिन पपाइरस को डिकोड करने के बाद साइंटिस्ट कहते हैं कि हां Egyptians को इस फार्मूला के बारे में सब कुछ पता था या नहीं यह तो कंफर्म नहीं लेकिन हां एक बात कंफर्म इनको पाइथागोरस के बारे में ज्ञान था |


 

2. अब हम पहुंचतेअब हम पहुंचते हैं बेबिलोना - मेसोपोटामिया की सभ्यता | आगे प्रोफ़ेसर भार्गवा कहते हैं कि मेसोपोटामिया मैं बहुत सारे क्ले टैबलेट मिले जिनमें से एक टेबलेट का नाम है Plimpton Tablet | इन क्ले टेबलेट को वैज्ञानिकों ने डेट किया है 1800 BC यानी 3800 साल | तोह 1800 BC में मेसोपोटामिया के क्ले टेबलेट में से यह पता चलता है कि यह लोग इस फार्मूला को लिस्ट किए | जैसे कि आप देख सकते हैं यह मिला इस Plimpton Tablets में उनके नंबर के रूप में और जब आप उसको डिसाइफर करेंगे तो यह बनेगा पाइथागोरस थ्योरम |

 


3. अब आते हैं भारत में | जैसे कि डॉ हर्षवर्धन और कुछ लोग कहते हैं कि भारत में भी माथेमैटिशंस  को इस फार्मूला के बारे में पता था | और वह देते हैं इस किताब का रिफरेन्स देते हैं शुल्बा सूत्र (Shulba Sutra or SHULVASUTRA) | इस के लेखक हैं बौधायन, मनवा, आपस्तंभा और कतयना | इसको वैज्ञानिक डेट करते हैं 800 से 500 BC | हालांकि किसी के पास इस किताब का ओरिजिनल मेनूस्क्रिप्ट नहीं है तो यह डेट थोड़ा विवादित है | जैसे कि हम अक्सर सुनते हैं लोगों से कि कि वैज्ञानिकों ने वेद को 1500 BC का डेट दिया है लेकिन इसका कोई सबूत नहीं मिलता | जैसे विमान शास्त्र को काल्पनिक ऋषि भारद्वाज से जोड़कर उसे हजारों साल पुराना प्रमाणित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन प्रमाण मिलता है 1950 | वैसे ही सिर्फ मानने के आधार पर इस शुल्बसूत्र को को 800- 500 BC कहा गया है, इसके अलावा इसका कोई सबूत नहीं है | तो इस फार्मूला को एक ट्रायंगल के रूप में दर्शाके Establish किया गया है | मैं आपको इस article में इस किताब में क्या-क्या लिखा है इसका मतलब क्या है history, geography नहीं बताऊंगा | लेकिन यह बताऊंगा कि हां अगर आप इस किताब को पढ़ेंगे तो आप Pythagoras Theorem के बारे में जानकारी पा लेंगे |

 


4. अब चलते हैं वापस विदेश में – ग्रीस 570 BC | जब हमने बहुत सारे आर्टिकल्स पढ़े तो कुछ सोर्स कहते हैं कि पाइथागोरस ने कभी भी पाइथागोरस थ्योरम को नहीं लिखा उनके चेले चपाटो ने लिखा | दूसरी तरफ कुछ और सोर्स ये भी कहते हैं कि इस फार्मूला को पाइथागोरस नहीं खोजा है | कहानी जो भी हो, यह मैं आपके ऊपर छोड़ता हूं कि आप इस फार्मूला को क्या कह कर बुलायेंगे |

 

5. एक और सभ्यता क्लेम करते हैं कि उनकी सभ्यता भी पाइथागोरस थ्योरम को जानते थे – Chinese  सभ्यता | वह इसे गौगु थ्योरम कहके बुलाते है। दावा ये है की उनका एक किताब Zhou Bi Suan Jing (1046-256 BC) इसमें पाइथागोरस थ्योरम के बारे में लिखा गया है। नीचे आप इस किताब के फोटो देख सकते हैं |


तो में इसे summarize करता हूं | कि 2500 BC में हमारे पास सबूत है की Egyptians ने इस फार्मूला का इस्तेमाल किये थे | उन्होंने Pythagoras Triplets का इस्तेमाल करके Pyramids बनाएं | और दुनिया में सबसे पहले इस्तेमाल करने वाले बन गए |

फिर 1800 BC में मेसोपोटामिया में के लोगों के पास क्ले टेबलेट से यह सबूत मिलता है कि इन्होंने इस फार्मूला को लिखा है |  Written Knowledge बेबीलोनियंस के पास था |

और फिर इसके हजार साल बाद इंडिया में 800 BC से बौधायन के लिखे गए सुलभ सत्र में इसे State किया गया है यानी इस फार्मूला को एक त्रिकोण के रूप में इस्तेमाल किया गया |

और चाइनीस की सभ्यता भी अपना एक दावा कर देते हैं | 

तो किस चीज को आप पहले मानेंगे?

अब एक सवाल जो यहां पर खड़ा होता है कि बेबीलोनियंस तो रहते हैं कहीं दूर, Egyptians भी रहते हैं कहीं दूर, और हमारे बौधायन रहते हैं भारत में | तो कैसे बनाना कोई फार्मूला के बारे में पता चलेगा? शायद उन्होंने खुद या ज्ञान प्राप्त किया होगा? इंडिपेंडेंटली इन्होंने इस फार्मूले का अविष्कार करके अपनी किताब में लिखा होगा | इस फार्मूले का अविष्कार करके अपनी किताब में लिखा होगा | यह सवाल भी बिलकुल ठीक है | लेकिन इसमें 1 पॉइंट है |

पॉइंट यह है कि आप क्यों भूल जाते हैं कि प्राचीन दुनिया में हर एक सभ्यता जुड़ी हुई थी ट्रेडिंग से | दुनिया भर के लोग दुनिया भर में घूम के ट्रेडिंग किया करते थे |और ट्रेडिंग के लिए किस का ज्ञान चाहिए? मैथमेटिक्स | और, हम यह भी जानते हैं कि पुरानी सभ्यताओं में Buildings, Planned Houses, Drainage System जैसे बहुत सारी चीजें बनती थी | और इन सब को बनाने के लिए किस का नॉलेज होना जरूरी था?  Mathematics | एक सभ्यता को दूसरी सभ्यता के बारे में नॉलेज था | तो क्या यह पॉसिबल नहीं वैसे ही मैथमेटिक्स का ज्ञान भी दुनियाभर में घुमा होगा |

 

यह तो सिर्फ अंध भक्त ही है जो यह सोचते हैं कि सिर्फ हिंदू ही श्रेष्ठ है पहले आए हैं दुनिया में, बाकी सब 45 हजार साल ही हुए हैं आए हुए | और जिनकी यह सोच है वह तो यह सोचेंगे हिना कि भारत में बैठे हुए एक मैथमेटिशियन दूसरे देशों जैसे कि बेबीलोनियंस ओं Egypt का ज्ञान नहीं पा सकते \ तो मुझे लगता है यही हुआ होगा | अगर 800 BC बौधायन ने इस फार्मूले को इस्तेमाल करके हवन कुंड  बनवाए होंगे तो वह विदेशों से इंस्पायर हुए होंगे | या फिर यह भी हो सकता है कि उन्होंने भी खुद इस चीज की खोज Independently बनाया होगा | अगर हवन कुंड बनाना है तो मैथमेटिक्स का ज्ञान भी जरूरी होता है | और जहां जरूरत होती है वहां इंसान अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके कुछ ना कुछ आविष्कार या खोज करता ही है |

 

तो दोस्तों यह रहा पाइथागोरस थ्योरम का पूरा इतिहास | डॉ हर्षवर्धन ने और शशि थरूर ने जो कहा वह आधा सच था | हमें इस थ्योरम का श्रेय सभी विद्वानों को देना चाहिए, कि सभी ने इस फार्मूला को कुछ ना कुछ योगदान देकर आज हमें एक पूरा फार्मूला सौंपा है | पर अंधभक्त सिर्फ एक इंसान को एक सभ्यता को सारा क्रेडिट देके वह इन सभी विद्वानों का अपमान कर रहे हैं | तो दोस्तों आई हो तो मैंने आपके इस दुविधा का जवाब सही रूप से दिया है | 

 

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