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This 1500-Year-Old Bible States That Jesus Was Not Crucified

 This 1500-Year-Old Bible States That Jesus Was Not Crucified


मसीही विश्वास को गलत साबित करने के लिए यीशु मसीह के 600 साल बाद एक मूर्तिपूजक इंसान ने कोशिश की थी | लेकिन वह बुरी तरह नाकाम हुआ था | वैसे ही आजकल कुछ लोग हैं, जो इनके मानने वालों के Outdated Arguments को लाकर, दुनिया को यह समझाते हैं कि इन्होंने Christianity को जड़ से उखाड़ दियायह मेरे शब्द नहीं है यह हमारे दोस्तों के हैं, कुछ हिंदुओं के हैं | कुछ ऐसे हिंदू हैं जो अपने सब्सक्राइबर से एक ₹1 ₹1 रुपया  चंदा मांगते हैं अपनी नफरत भरी अजेंडा अपनी झूठी प्रोपेगेंडा को फैलाने के लिए | वह मुसलमानों के Outdated Arguments को इस्तेमाल करके कुछ यह कहते हैं, कि अंकारा में एक 1500 साल पुराना बाइबल मिला जो यह कहता है कि यीशु मसीह कभी क्रूस पर नहीं मरे और वह सिर्फ एक आम नबी थे | और इस अंकारा के बाइबल में मोहम्मद के बारे में भी लिखा गया है | और इससे यह साबित होता है कि Christianity एक झूठा धर्म है और आज तक Christians दुनिया को धोखा दे रहे हैं | और इस बाइबल के मिलने के बाद पोप के साथ साथ पूरा Christian समाज सदमे में है, कि अब कैसे इस सच से बचा जाए या अपना मुंह कहां जाकर छुपाए |

जब मुझे वह वीडियो दिखाया गया हमारे हिंदू दोस्त के द्वारा कुछ तीन चार हफ्ते पहले मैंने सोचा इस पर वीडियो बनाना चाहिए, और आप सभी को सच दिखाना चाहिए | लेकिन जिसे आप लोगों को पता है हम उस वक्त वीडियोस अपलोड नहीं कर रहे थे | और तब से लेकर आज तक बहुत सारे हिंदू भाइयों ने भी हमें उसी वीडियो कॉ लिंक चैनल के कमेंट में देना शुरू कर दिया | कि देखो पुलिस खत्म हो चुका है और कुछ लिखते हैं कि यह है क्रिश्चियनिटी का असली सच | तब हमने सोचा चलिए अभी हमारे पास कुछ वक्त है इस पर वीडियो बनाया जाए और असली सच दुनिया को दिखाया जाए कि कैसे कुछ हिंदू मुसलमानों के Outdated सवालों को उठाकर मासूम लोगों को झूठ बताके Christianity के खिलाफ बरगलाना चाहते हैं | क्योंकि इनकी मानसिकता नफरत से भरी है दूसरे धर्म के लोगों के प्रति |

 


जैसे आप लोग ऊपर देख पा रहे हैं एक हिंदू भाई ने भी हमें उसी अंकारा के बाइबल का वीडियो लिंक दिया और कहा कि अगर हमें जानना है तो यह वीडियो देखें | तो उसके रिप्लाई में हमने भी उन्हें एक लिंक दिया जो 1 साल पहले ही Video बना दिया था और इस वीडियो का टाइटल है Gospel of Barnabas | अगर आपने यह वीडियो अब तक नहीं देखा तो आप देख सकते हैं लिंक नीचे है, क्लिक करके देख सकते हैं 

बहुत सारे लोग हमारे Gospel of Barnabas वीडियो देख चुके हैं और अगर आपके मन में यह सवाल आता है कि अंकारा का बाइबिल और हमारे बनाए Gospel pf Barnabas के वीडियो के बीच में क्या फर्क है? कुछ फरक नहीं है | मुसलमान इसे Gospel of Barnabas कहते हैं और हमारे लेटलतीफी हिंदू इसे अंकारा का बाइबिल कहते हैं | मतलब जिस किताब को दुनिया फ्रॉड किताब के रूप में 15 साल से भी पहले जान चुके हैं हमारे हिंदू दोस्ती इसे 2019 में ऐसे शेयर कर रहे हैं जैसे उनके हाथों में वह चीज गई है जिससे वह Christianity को झूठा साबित कर देंगे | बड़े ही लेट लतीफ है यह लोग और बड़ी ही शर्मिंदा होने वाली चीज है यह सालों पहले के झूठ को आज सच मानकर हमारे हिंदू भाई व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के द्वारा फैला रहे हैं |इसको कहते हैं बचकानी हरकत |

लोग कहते हैं कि इस किताब को सन 2000 में तुर्की के पुलिस ने कुछ गलत किया था और उसको अब अंकारा के म्यूजियम में रखा गया है सालों पहले तक मुसलमान इसे Gospel of Barnabas कहके झूठा साबित करना चाहते थे | क्योंकि इस किताब में बारनाब्बास और मोहम्मद का नाम लिखा है | और आजकल हमारे हिंदू भाई इसे अंकारा का बाइबिल बताके यह सोचते हैं कि इन्होंने Christianity को एक्सपोज कर दिया | इसलिए मैं फिर से सभी से कहता हूं आप हमारे इस वीडियो को जरूर देखें जहां हमने कुछ इंटरनल प्रोब्लेम्स बताये हैं, इस झूठी किताब के बारे में |और आज के Article में 1-2 प्रॉब्लम और बताऊंगा कि क्यों यह किताब फोर्जरी है और अगर हिंदुओं ने थोड़ा गूगल सर्च कर लिया होता तो उन्हें इतना शर्मिंदा ना होना पड़ता |

इस अंकारा के बाइबल को Nineveh आज के Mosul (Iraq) वहां के एक मोंक ने लिखा था | और इसमें ऐसी ऐसी इंटरनल प्रॉब्लम है जिसे इन विरोधियों ने जांचना भी नहीं समझा | क्यों? क्योंकि इनके अंदर नफरत भरी है कि कैसे यह लोग क्रिश्चियनिटी को गलत साबित कर सके | और इसके बारे में हमें कैसे पता लगा? चलिए देखते हैं |

यह लोग दावा करते हैं कि यह अंकारा का बाइबल 1500 साल पहले का है लेकिन जब हम इसे पड़ेंगे वह यह लिखा है

“in the name of the Lord this book was written by the hands of the monks of the Upper Monastery of Nineveh, in the year 1500 of our Lord” 

बहुत सारे अक्षर ठीक से दिखाई नहीं देते और जो दिखते हैं उसमें से यह एक पैराग्राफ है | और एक जगह पर आमीन भी लिखा हुआ है | तो इस सेंटेंस के आधार पर इस किताब को Nineveh के उच्च मोनेस्ट्री के एक मोंक ने यीशु मसीह के 1500 साल बाद लिखा है | कितने साल बाद? 1500 साल बाद | यीशु मसीह के क्रूस पर मृत्यु पुनरुत्थान और स्वर्गारोहण को चलिए हम 30 AD मानते हैं | तो 1500 of our Lord का मतलब क्या हुआ? साफ बात है पंद्रह सौ साल बाद यीशु मसीह के | यानी सिर्फ 500 साल पहले ही इस किताब को एक मोंक ने लिखा है जो इराक में रहते थे | और जब किताब खुद कहता है कि मुझे यीशु के पंद्रह सौ साल बाद यानी 500 साल पहले ही लिखा गया है, तो हमारे हिंदू और मुसलमान भाई इसे 1500 साल पुराना बताने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? मैं बताता हूं क्यों |

1st Point- जब ये फेक किताब मिला मुसलमानों ने पढ़ा 1500 Year of our Lord जिसका मतलब होता है 1500AD | लेकिन उन्होंने सोचा कि इससे 1500 साल पहले लिखा गया है | क्योंकि इस किताब में मोहम्मद के बारे में लिखा गया है, और इस पॉइंट को इन्होंने पकड़ लिया | लेकिन इसके चलते वह उन दूसरे Points को भूल गए जो उल्टा उनको झूठा साबित करता है | जैसे कि इस किताब में यीशु, मोहम्मद को असली मसीहा कहते हैं, जो ऐतिहासिक इस्लामिक और खुद मोहम्मद के आधार पर झूठ है | सिर्फ यही मसीहा है मोहम्मद नहीं | अगर कोई भी मुसलमान है यह मानता हूं कि मोहम्मद भी मसीहा है, तो मुझे एक कुरान की आयत या एक हदीस दिखा दे जाएं यीशु के अलावा मोहम्मद को भी मसीहा बताया गया हो?

2nd Point- यह हिंदू, में सभी हिंदुओं की बात नहीं कर रहा हूं | सिर्फ गिने-चुने हिंदुओं की बात कर रहा हूं जो ऐसी बचकानी हरकत करते हैं | इन हिंदुओं ने मुसलमानों के झूठे, refuted and outdated arguments को सही मानके उसको दूसरा नाम देकर उसे फैलाने की कोशिश कर रहे हैं | क्योंकि यह लोग सिंपली Christianity से नफरत करते हैं | इन लोगों ने यह नहीं सोचा, कि चलो मुसलमानों के पुराने argument को इस्तेमाल करने से पहले हम खुद थोड़ी रिसर्च कर लेते हैं, कि क्या यह किताब सच है या झूठ | लेकिन उन्होंने नहीं सोचा और नहीं किया क्यों नहीं सोचा? जवाब सिंपल है | नफरत | नफरत ने इनके सोचने समझने की शक्ति को खत्म कर दिया है | और यही है हमारा

3rd Point- इन्होंने जिन जिन आर्टिकल से यह arguments लिया, उनमें से कुछ आर्टिकल टाइटल में आपको पढ़कर सुनाना चाहता हूं | जिसे सुनकर आप समझ जाएंगे कि उनके अंदर कितनी नफरत भरी है Christianity के विरोध | और इसके चलते उन्होंने यह नहीं सोचा कि थोड़ा गूगल सर्च किया जाए |

1500-Year-old Bible Confirms that Jesus Christ was not Crucified- Vatican in Awe

1500-Year-old Syriac Bible found in Ankara, Turkey- Vatican in shock

Pope resigns due to hidden Gospel of Barnabas

यह सिर्फ 3 टाइटल मैंने आपको दिखाया और उनको लगा कि जब खुद Pope डर गए हैं इस नए बाइबल से तो आम Christians का क्या हाल हुआ होगा | और उन्हें लगा कि अब तो Christianity की खैर नहीं |  लेकिन इन लोगों को नहीं पता कि क्रिश्चियनिटी में जगह कोई चीज Pope, Pastors, सेवक बड़े नहीं होते वचन सबसे बड़ा होता है | और सच नहीं छुपता है और ना ही हारता है |

तो दोस्तों हमने देखा मर्सी विरोधियों के एक और नफरत भरी झूठे को इस Article में बस इतना ही दोस्तों मैंने इस Article में बस एक दो पॉइंट को टच किया है अगर आपको इसके बारे में और जानकारी चाहिए | तो आप हमारे इस वीडियो को जरूर देखें सभी चीजों का लिंक डिस्क्रिप्शन में मौजूद है और मैं चाहता हूं आप इस Articles को भी उन सभी को शेयर करें जो इस झूठी फेक न्यूज़ को व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी या किसी और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में फैला रहे हैं और उन्हें सच के रास्ते पर लाने में मेरी मदद करें



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