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वैदिक गणित | How - VEDIC Mathematics - Fooled Us

जय मसीह के दोस्तों | साल है 2015, कोलकाता में एक समारोह हुआ जहां छह लोगों को सम्मानित किया जा रहा था उनमें से एक नाम है अमर्त्य सेन, जो की नोबेल पुरस्कार के विजेता भी हैं इकोनॉमिक्स साइंस के लिए | जैसे की आप स्क्रीन पर देख रहे हैं उन्होंने कहा की हमने यानी भारतीयों ने मैथ्स के फील्ड में बड़ी-बड़ी ऊंचाइयां पकड़ी है बेबीलोन और ग्रीस से इंस्पायर हो के | 

https://scroll.in/article/699603/golden-age-of-indian-mathematics-was-inspired-by-babylon-and-greece-amartya-sen

इतना देखने के बाद कई लोगों को मिर्ची लगी होगी की इन्होंने कैसे का दिया की हम भारतीय विदेश से इंस्पायर होके यानी कॉपी करके आविष्कार करते हैं | यह सत्य नहीं झूठ है हमने तो दुनिया को पीछे पछाड़ा है हर एक फील्ड में चाहे वो साहित्य हो कलाकृति हो या विज्ञान हो या मैथ्स में इन्होंने जो भी कहा वो विदेश के प्रभाव में आकर कहा होगा | यह भी एक लिब्रांडू होंगे | लेकिन जब आप इस आर्टिकल को पूरा पढ़ेंगे या उनके पूरे स्पीच को सुनेंगे उन्होंने कहानी पर भी भारतीयों का अपमान नहीं किया, बल्कि उनका कहना है की अब के लोग चीन के लोग भारत में आगे हमसे गए हैं |और इस तरह उसे समय हर एक देश के शिक्षित लोग एक दूसरों से सीखने भी थे और खुद का सीखने भी थे, ज्ञान का आदान-प्रदान हुआ करता था पुरी दुनिया में |लेकिन आज क्या होता है की कुछ कतर और धूर्त मानसिकता वाले लोग अपने धर्म को ऊंचा बताने के चक्कर में दूसरे धर्म को ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कल और संस्कृति उनके बुद्धि और भाषा को इतना गया गुजर समझते हैं की पूछिए ही मत | और व्हाट्सएप फेसबुक युटुब के द्वारा यह प्रचार करते रहते हैं की दुनिया में जितने भी आविष्कार हुई जितने भी ऊंचाई तक विज्ञान गया वो सभी चीज हिंदू धर्म से ही निकाला है जितने भी साइंस के अविष्कारे हुई उसको हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों साल पहले लिख दिया है जितना भी ज्ञान टपकता है वह सब वेद पुराण गीता रामायण सहित टपकता है बाकी के दुनिया ने हमारे ज्ञान को चोरी किया और अपने नाम से पेटेंट करवा दिए | उसके ऊपर मुगलो ने अंग्रेजन ने भारत को के हमें और कमजोर कर दिया लेकिन जैसे सत्य के हमेशा जीत होती है ऐसा ही हमारा ज्ञान ज्यादा दिन छुपा नहीं रहा यह इनके दाव दाव करना कुछ गलत नहीं है लेकिन उन दावों के साथ झूठ एड करना ये बहुत गलत बात है हमने पहले भी कुछ विज्ञान इनके से देखा है जैसे की दुनिया का पहले आईवीएफ सिस्टम यानी टेस्ट ट्यूब बेबी दुनिया का पहले एरोप्लेन और कितना विज्ञान था या नहीं ये आप डिसाइड कीजिए लेकिन अब ये मैथ्स की फिल्में भी एक और दवा तोक दिए | इस वैदिक मैथमेटिक्स के किताब को दिखा के कहते हैं की देखिए जितने भी Maths के फॉर्मूला प्राचीन दुनिया में था उसका सोर्स हमारा वेद है वेदों में मैथ्स मौजूद था और विदेश ने दुनिया ने हमारे ज्ञान को चूड़ा के अलग-अलग तरह से अविष्कार करने लगे और जी वेद से उन्होंने शिखा उसको क्रेडिट देने के बजे अपने नाम को दे दिया तो चलिए आज देखते हैं ये वैदिक मैथमेटिक्स के किताब की पुरी सच्चाई | 

1st Research Paper: 

1965 में एक किताब छाप गया वैदिक मैथमेटिक्स या वैदिक गणित इस किताब में 16 वैदिक से गणित के सिद्धांत को निकाला गया है और यह अथर्ववेद से निकाला है ऐसा इसके लेखक का दवा है | लेकिन जब आप उन सूत्रों को देखेंगे तब आपको लगेगा की ये तो सिर्फ कुछ मैच के शॉर्टकट्स हैं ना की वैदिक मैथमेटिक्स क्योंकि वेद में तो तरह-तरह के प्रार्थना है देवी देवताओं को खुश करने के लिए मेट्रो के रूप में | और इसी किताब का हवाला देकर आज तक सारे हिंदू यह प्रचार करते फिरते हैं की वेदों में विज्ञान के अलावा मैथ्स भी है और दुनिया ने हमसे चोरी किया है | दरअसल इस किताब को 1965 में छापने से पहले वैदिक मैथमेटिक्स के बड़े में किसी को पता नहीं था भारतीयों को मैथमेटिक्स के बड़े में पता था लेकिन वेद से भी मैथ्स टपकता है इसके बड़े में नहीं पता था लेकिन जैसे ही ये किताबें मार्केट में आई तब से लोग अपने वेदों को एक मैथमेटिक्स की किताब बोलके भी मार्केटिंग करने लगे | और मैं इतना बड़ा इल्जाम खुद अपने मां से नहीं लगा रहा हूं इस किताब पर कोटेशन भी किया जा चुका है और वो किसने किया हमारे ही देश की वो बुद्धिजीवी लोग जो सबकी रिस्पेक्ट करते हैं को जो क्रेडिट मिलन चाहिए देते हैं बिना जाति धर्म रंग रूप और मजहब देखकर | तो इस किताब का लेखक कौन है इनका नाम है स्वामी भारती कृष्णा तीर्थ उर्फ जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी भारत कृष्णा तीर्थ यह पुरी के गोवर्धन मटके शंकराचार्य भी चुके हैं तो ये कोई आम और छोटे मोटे हिंदुओं नहीं है इस किताब को जिसने छाप उसका कहना है की स्वामी जी 8 साल श्रृंगेरी में तपस्या करने के बाद अथर्ववेद से 16 सूत्रों का ज्ञान प्राप्त किया और इसके आधार पर उन्होंने उसे वक्त 16 सूत्र के आधार पर 16 वॉल्यूम्स के मैच लिखे | 

स्वामी जी विदेश में भी जाके अपने Maths के फॉर्मूला को सबके सामने डेमोंस्ट्रेट करने लगे उन्होंने उस यूके में जाकर अपने फॉर्मुलस को प्रेजेंट किया लोगों को अच्छा लगता था और फिर साल आया 1950 स्वामीजी लखनऊ में एक जगह पर अपना वैदिक मैथमेटिक्स का लेक्चर दे रहे थे वहां पर एक बड़े ही Renowned Indian Mathaatics के Proff. K S SHUKLA भी मौजूद थे | प्रोफेसर शुक्ला ने स्वामी जी से कुछ सवाल पूछ लिए और अथर्ववेद की किताब भी उससे मीनार में लेकर गए थे | उन्होंने स्वामी जी से पूछ लिया की आपने जो जो यहां डेमोंस्ट्रेट किया प्लीज इस वेद में से मुझे दिखा कर बताइए और जवाब सुनने के बाद आप हैरान हो जाएंगे एकदम इन्होंने वक्त बादल दिया जी बात बादल दिए जिंदगी बादल दी | स्वामी जी ने उन्हें कहा की यह सिर्फ मेरे पर विशेषता में मौजूद है बाकी किसी और वेद में मौजूद नहीं है और बड़ी ही आश्चर्य के बात ये है की स्वामी जी के वेद के वरिष्ठ को ना ही पहले किसी ने देखा था और ना ही | इस इंसिडेंट के बाद किसी ने देखा इसको खुद इस किताब के छापने वाले ने यानी उनकी शिष्य ने कन्फर्म किया है | अब बताइए इससे आप क्या समझे घालमेल ना कुछ तो घर मेल किया हैं स्वामी जी ने पहले तो कहते हैं की यह सूत्र वेद के श्लोक नहीं उनके परिशिष्ट है उसके बाद जब प्रोफेसर शुक्ला ने वो परिष्ठ मांग लिया तब वो मुखर के कहते हैं की यह सिर्फ मेरे वेद में ही हैं बाकी दुनिया के किसी भी वेद में नहीं है कितना झूठ बोलेंगे इस देश के ये हिंदूत्ववादी लोग पहले भी हमने देखा है की यह दवा किया जा चुका है की राइट ब्रदर्स से पहले बापूजी तलपडे ने विमान उदा दिया था जबकि उसे विमान शास्त्र को सुब्बाराव ने 1950 के बाद लिखा है लेकिन नाम दे दिया एक काल्पनिक ऋषि भारद्वाज को जिन्होंने तथाकथित इसको हजारों साल पहले लिख दिया | और हमारे ही भारत के ईटनेस ने उनके दावों को बहुत बुरी तरह एक्सपोज किया है और हमने भी इसके बड़े में कुछ कर साल पहले वीडियो बना के आप सभी को इसके बड़े में जानकारी दी थी | लेकिन हमारे भारत के लोग इतने भोले भले हैं इस ज्यादातर लोगों को आज तक इसके बड़े में नहीं पता और ये हिंदूत्ववादी लोग अब भी फेसबुक युटुब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में इसका प्रचार करते रहते हैं वैसे ही वैदिक मैथमेटिक्स एक और घालमेल है इन हिंदुओं के अपने धर्म को सभी से ऊंचा बताने के लिए खुला आम झूठ बोलते हैं | ऐसा लगता है की वो अपने मर्यादा को बीच के का चुके हैं इसका मतलब यह नहीं की सभी झूठ और बेशर्म हैं क्योंकि जी और से मैंने आपको ये सब बताया है वो भी हिंदू बैकग्राउंड से ही आते हैं इसलिए मेरे दर्शन सभी हिंदुओं को एक में ना तो लिए |

इस रिसर्च पेपर को लिखा है प्रोफेसर एस के धनी जो आईआईटी बॉम्बे में मैथमेटिक्स के प्रोफेसर हैं इस रे पेपर को पब्लिश किया 1993 में सोच वैदिक मैथमेटिक्स के किताब को 1993 से एक्सपोज किया जा चुका है लेकिन बताइए किस-किस को इसके बड़े में पता है खुद मुझे भी पता नहीं था जब तक मैंने इसके बड़े में थोड़ा ढूंढा ना था | जब मैंने इस किताब के बड़े में थोड़ा ढूंढ तो पहले बात जो मुझे पता चला जो आप इस रिसर्च पेपर को भी पढ़ के जान सकते हैं की इस वैदिक मैथमेटिक्स के लेखक स्वामी जी की मृत्यु 1960 में हो चुकी है और किताब छुपी है 1965 में किसने छाप उनके शिष्य ने मंजुला त्रिवेदी ऑलरेडी जनरल सेक्रेटरी श्री विश्वकर्मा निर्माण संघ नागपुर इन्होंने इस किताब को स्वामी जी के करने के 5 साल बाद छाप दूसरी बात जो आप जानेंगे की ये कोई नई बात या नया मैच स्वामी जी ने नहीं बनाया 1947 में एक किताब आई थी हाय स्पीड मठ जिसके लेखक है लिस्टर मिस इस किताब में भी वो शॉर्टकट्स वो टिप्स आपको मिल जाएंगे जिससे आप कुछ मैच के प्रॉब्लम को जल्दी से सॉल्व कर पाएंगे और सिर्फ यही एक नहीं है इसके जैसे बहुत सारे किताब दुनिया में पहले से ही मौजूद थे स्वामी जी के वेदों से ज्ञान प्राप्त करने से पहले अगर स्वामी जी ने अपने किताब को सिर्फ एक मैच के किताब बोल के मार्केटिंग करते तो किसी को कोई आपत्ती नहीं होती क्योंकि दुनिया में वैसे भी बहुत सारे ऐसे किताब मौजूद थी और तब उन्हें अपने किताब की इतनी पॉपुलर टीम नहीं मिलती और शायद इसी बात को सोच के उन्होंने इसे वैदिक मैथमेटिक्स का नाम चिपका के इसकी मार्केटिंग करने लगे और इससे उनकी किताब पॉपुलर हो गई तो ऐसा करते हैं ये धूर्त लोग | आप इस रिसर्च पेपर को पूरा पढ़िए की कैसे वैदिक मैथमेटिक्स की यह किताब फर्जी है आप इसे फ्रॉड भी का सकते हैं क्योंकि जानबूझकर स्वामी जी ने अथर्ववेद का नाम लेकर अपने झूठी प्रपंचड़ा को फैलाने लगे थे | 

2nd Research Paper:

अब देखिए दूसरा रिसर्च पेपर 2006 में आईआईटी मद्रास ने यह रिसर्च पेपर पब्लिश करके इन झूठों के एक और गाल पर इतना कारा तमाचा मारा है की झूठ बोलने वाले लोग वैदिक मैथमेटिक्स का नाम भूल जाना चाहिए था,  लेकिन हमारे देश के लोग तो हैं संभाले उनके पास सच्चाई अब भी नहीं पहुंचती जब इंटरनेट की इतनी सुविधा है तो सोचिए उसे समय के लोग कहां से जानेंगे | इस रिसर्च पेपर का नाम है वैदिक मैथमेटिक्स वैदिक और मैथमेटिक्स ये फर्जी और न्यूट्रोसॉफिक एनालिसिस इस रिसर्च पेपर को लिखा है डब वसंतकुंट अंडरस्टैंडिंग और फ्लोरेंटाइन स्मरण देश है | इंडेक्स में आप देख सकते हैं की इन्होंने प्रोफेसर दाने के रिसर्च का भी रेफरेंस दिया है और दूसरा चैप्टर से ही इस वैदिक मैथमेटिक्स के किताब की पाल खोल रहे हैं | 

जैसा की Chapter 2: 2 में यह कहते हैं की ये किताब ना ही वैदिक है और ना ही मैथमेटिक्स |

और लिखने हैं की इस किताब को वैदिक मैथमेटिक्स कहना समाज में ब्रह्म फैलाने के बराबर है जो की ठीक नहीं है हमारे देश के भविष्य और प्रगति के लिए बहुत ही हानिकारक है | क्योंकि कुछ मंत्री और स्टेटस के सरकार इससे अपने पढ़ाई के सिलेबस में लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, इसे वैदिक मैथमेटिक्स का के इस रिसर्च पेपर में सिर्फ वैदिक मैथमेटिक्स को ही एक्सपोजिंग नहीं किया गया है बल्कि सच्चे इंडियन मैथमेटिशियन की प्रशंसा भी किया हैं | एक और गलत प्रचार करते हैं यह धूर्त लोग की श्रीनिवास रामानुजन ने भी वेद से मैथ्स सिख के बड़े-बड़े फॉर्मूलाज बनाए जबकि सच्चाई ये है की वो बचपन में अंग्रेजन की स्कूल में पढ़े जहां वेद पटाया नहीं जाता उसके बाद विदेश में जाके विदेशी कॉलेज में पढ़ाई करके मैथ्स के फील्ड में बड़े-बड़े कंट्रीब्यूशन किया हैं और दुनिया को भारत का एक और बेहतरीन दिमाग की जानकारी दी और इन्होंने कोई अवैध शहर नहीं पढ़ा | और इन्हीं के जैसे कई और इंडियन मैथमेटिशियन हुए जिन्होंने मैथ्स के फील्ड में बड़ी-बड़ी ऊंचाइयां पकड़ी है उनमें से कुछ नाम आप इस रिसर्च पेपर में देख सकते हैं |और इनमें से किसी ने भी वैदिक मैथमेटिक्स का सहारा ना ले के जो मौजूदा फॉर्मुलस थे उनमें सुधार है या जोड़ा करके नए-नए फॉर्मूला से दुनिया को दिए |


तो दोस्तों ये रहा वैदिक मैथमेटिक्स के किताब की पुरी सच्चाई

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